फाइनल में हार के साथ करोड़ों भारतीयों का सपना एक बार फिर चकना-चूर हो गया। भारत पूरे टूर्नामेंट एक चैंपियन टीम की तरह खेला और हर मायनों में दूसरी टीमों से बहुत बेहतर दिखा लेकिन रविवार के दिन पैट कमिंस का खेमा रोहित शर्मा की टीम पर भारी पड़ा और रिकॉर्ड छठी बार वर्ल्ड चैंपियन बन कर उभरा।बहरआल, वर्ल्ड कप खत्म हो चुका है और फाइनल को छोड़ दें तो भारत के लिए इस टूर्नामेंट से कुछ पॉजीटिव्स भी निकल कर आएं हैं।
रोहित शर्मा का आक्रामक अंदाज
भारत टूर्नामेंट में दस मैचों तक अजेय रहा जिसमें रोहित की ताबड़तोड़ बल्लेबाजी ने खास योगदान दिया। रोहित पॉवरप्ले में विपक्षी गेंदबाजों पर दबाव बनाते थे और पहले दस ओवरो में ही भारत को फ्रंटफुट पर खड़ा कर देते थे।
रोहित फाइनल में भी अपनी आक्रामक शैली से पीछे नहीं हटे थे। कप्तान ने सिर्फ 31 गेंदों पर 47 रन बनाए और आने वाले बल्लेबाजो के लिए एक प्लेटफार्म तैयार किया था। विश्व कप के 11 मैचों में रोहित ने 55 की औसत से 597 रन बनाए।
नंबर चार पर छाए श्रेयस अय्यर
पिछले कई वर्षो से नंबर चार की पोजीशन भारतीय मैनेजमेंट के लिए एक चिंता का सबब बनी थी। इस नंबर पर कई बल्लेबाजों को मौका दिया गया लेकिन कोई भी खिलाड़ी प्रभावित नहीं कर सका। श्रेयस अय्यर के इस विश्व में शानदार प्रदर्शन के साथ नंबर चार की खोज खत्म हो चुकी है। श्रेयस ने 67 की औसत से 530 रन बनाकर अपनी दावेदारी को पक्का कर लिया है। फाइनल में श्रेयस नहीं चले लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में शानदार सेंचुरी बनाई थी।
विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में केएल राहुल ने छोड़ी छाप
बल्ले के अलावा केएल राहुल ने इस वर्ल्ड कप में अपनी विकेटकीपिंग और डीआरएस कॉल पर सटीकता से सभी को प्रभावित किया है। श्रेयस की तरह कर्नाटक के इस खिलाड़ी पर भी फार्म और फिटनेस पर सवाल थे लेकिन पहले एशिया कप में राहुल ने पाकिस्तान के खिलाफ सेंचुरी जड़कर सभी सवालों पर पूर्णविराम लगाया। फिर वर्ल्ड कप में 11 मैचों में 75 की औसत के साथ 452 रन बनाए जिसमें ऑस्ट्रेलिया के पहले और फाइनल मैच में उपयोगी रन भी शामिल हैं। पांचवें नंबर पर आकर, राहुल ने विश्व कप में किसी भारतीय द्वारा सबसे तेज वर्ल्ड कप सेंचुरी भी बनाई। 31 वर्षीय इस खिलाड़ी ने स्टंप के पीछे 17 कैच लपके, जो किसी भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज द्वारा विश्व कप में एक रिकॉर्ड है।