~दीपक अग्रहरी
विराट कोहली ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक तस्वीर साझा की जिसमें उन्होनें कैप्शन देते हुए अपना यो-यो टेस्ट स्कोर 17.2 बताया है। हालांकि यह विराट का सर्वाधिक स्कोर नहीं है। कुछ साल पहले उन्होंने इस फिटनेस टेस्ट में 19 स्कोर किया था। विराट कोहली की कप्तानी मे फिटनेस बहुत अनिवार्य थी जिसके चलते खिलाड़ियो को एक विशेष प्रकार के फिटनेस टेस्ट – ‘यो-यो टेस्ट’ में पास होने के बाद ही टीम में शामिल किया जाता था। यो यो टेस्ट के मानक की बात करें तो भारतीय टीम मे वह 16 था इस फिटनेस टेस्ट में 16 अंक लाकर ही एक समय खिलाड़ी टीम का हिस्सा बन सकते थे।
यो-यो टेस्ट के अन्य पहलुओं की बात करें तो न्यूजीलैंड और इंग्लैंड में भारत के 16 के मुकाबले इन देशों के फिटनेस टेस्ट को पास करने के लिए 19 नंबर लाने पड़ते हैं। कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो कीवी टीम का मानक 20.1 था।
यो-यो टेस्ट का प्रभाव भी देखने को मिला है। न्यूजीलैंड की फील्डिंग विश्व भर में सबसे अव्वल मानी जाती है। ग्लेन फिलिप्स हों या मार्टिन गुप्टिल, ये खिलाड़ी फील्डिंग में हैरत अंगेज कारनामे करते हुए दिखाई देते हैं। फिटनेस हमेशा से खेल का एक अहम पहलू रहा है। अगर खिलाडी चुस्त और फुर्तीला नहीं है तो वह अपनी टीम को मैच नहीं जिता सकता। क्रिकेट के बदलते दौर को देखें तो कभी-कभी हॉफ-चासेंज भी टीम को मैच जीतने के लिए पकड़ने पड़ते है. जिसके लिए खिलाडी में सक्रियता बहुत जरुरी है।
2019 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में हम सभी को एम एस धोनी का वह रन आउट याद ही होगा। धोनी विकेटों के बीच बहुत तेज दौड़ते हैं लेकिन सेमीफाइनल में सामने न्यूजीलैंड थी और गुप्टिल के खिलाफ दूसरा रन के कारण एमएस रन आउट हो गए थे। विकेटों पर सीधे हिट ने भारतीय फैंस का सपना तोड़ दिया था। वह गुप्टिल की फिटनेस ही थी, जिसके दम पर उन्होनें धोनी को रन आउट किया था।
ऐसे कई उदाहरण हैं जहां फील्डिंग ने मैच का पासा पलटा है और इस कारण यो-यो टेस्ट की वजह से फील्डिंग के स्तर में सुधार हुआ है। विराट कोहली खुद एक फिटनेस आइकन हैं और काफी खिलाड़ियो ने भी विराट की फिटनेस की सराहना की थी।