मुम्बई क्रिकेट में सचिन तेंडुलकर की इस बात को काफी महत्व दिया जाता है
कि किसी भी आलोचना का जवाब मुंह से नहीं बल्ले से दिया जाना चाहिए।
मुम्बई से ही श्रेयस अय्यर तैयार हुए। उन्होंने भी सचिन के अंदाज़ में
आलोचनाओं का जवाब शानदार प्रदर्शन से देकर दिखा दिया है कि वह अब पूरी
तरह से फिट हैं।
एशिया कप के लिए टीम की घोषणा से एक दिन पहले उन्होंने एक प्रैक्टिस मैच
में शानदार सेंचुरी बनाई मगर उसके बावजूद उनकी फिटनेस को लेकर सवाल उठने
कम नहीं हुए। अब उन्होंने एनसीए बैंगलुरु में 199 रन की पारी खेलकर सबको
चौंका दिया। यह खासकर रवि शास्त्री से लेकर संदीप पाटिल और उन पूर्व
खिलाड़ियों को करारा जवाब था जो विराट कोहली को नम्बर चार पर बल्लेबाज़ी
करने का सुझाव दे रहे थे। यहां तक कि टीम के ऐलान के समय रोहित शर्मा ने
भी नम्बर चार पोज़ीशन को फ्लेक्सिबल रखने की बात कही थी।
एक सप्ताह के अंतराल में दो सेंचुरी बनाने का मतलब है कि श्रेयस की
फिटनेस को लेकर बेवजह की बातें उड़ाई गई हैं। इन्हीं श्रेयस पर सवाल उठा
कि वह घर के शेर हैं तो उन्होंने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ ऑकलैंड में 80 और
मीरपुर में बांग्लादेश के खिलाफ 82 रन की पारियां खेलकर इन आलोचनाओं का
माकूल जवाब दिया। इसी तरह साउथ अफ्रीका के खिलाफ रांची में उन्होंने
शानदार सेंचुरी बनाई।
श्रेयस स्वाभाविक रूप से अटैकिंग माइंडसेट वाले बल्लेबाज़ हैं।
पार्टनरशिप बनाने में विश्वास करते हैं। कभी उन्हें सहवाग के अंदाज़ में
कट शॉट सहित फील्ड के चारों ओर स्ट्रोक खेलते हुए देखा जा सकता है और कभी
उन्हें टीम की ज़रूरत के हिसाब से सहवाग से द्रविड़ बनते देर नहीं लगती।
जल्दी विकेट गिरने पर वह टिककर बल्लेबाज़ी करते हैं। मुश्किल स्थितियों
को आसान बनाना उनकी खेल की सबसे बड़ी विशेषता है। उनके स्ट्रोक्स में
तकनीक भी है और पॉवर भी। सच तो यह है कि वह नम्बर चार के परफैक्ट खिलाड़ी
हैं। प्रवीण आमरे जैसे आला दर्जे के कोच के मार्गदर्शन में वह तकनीकी तौर
पर मज़बूत हुए हैं और अब वह अपने विकेट के महत्व को भी समझने लगे हैं
जबकि तीन साल पहले वह केवल अटैकिंग माइंडसेट से खेला करते थे। एक मौके पर
चार दिन के मैच में जब उन्होंने दिन के आखिरी ओवर में जोखिम भरा शॉट
खेलते हुए छक्का लगाया तो द्रविड़ ने पूरे दिन उनसे बात नहीं की थी। मगर
अब उनके साथ ऐसा नहीं है। अब वह दबाव में मैच्योरिटी के साथ खेलते हैं।
क्रिकेट की बारीकियां जानते हैं, इसीलिए उनके बारे में भविष्य में
कप्तानी के बारे में भी सोचा जा सकता है।
स्पिन के खिलाफ श्रेयस बेहतरीन खिलाड़ी हैं। एशिया कप में भारत के मैच
श्रीलंका में हैं और वर्ल्ड कप भारत में है, जहां स्पिन का बखूबी सामना
करने वाला खिलाड़ी सबसे उपयोगी साबित होगा। जिस तरह आज बाबर आज़म से लेकर
विराट कोहली तक स्पिनर के सामने गेंद की पिच पर पहुंचने के बावजूद कई बार
डिफेंड नहीं कर पाते, वहीं श्रेयस को यह कला बखूबी आती है। इतना ही नहीं,
बैकफुट पर कट और डाउन द ग्राउंड लॉफ्टेड शॉट्स में उनका कोई सानी नहीं
है।
शॉर्ट बॉल या बाउंसर के सामने वह ज़रूर फंसते दिखे हैं लेकिन ऐसी गेंदों
को ऐहतियात के तौर पर खेलने के बजाय वह अटैकिंग माइंडसेट से खेलते हैं।
कानपुर में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ डैब्यू टेस्ट हो या फिर हाल में मीरपुर
में उनकी शानदार पारी। साथ ही टेस्ट में उनकी हाल की दो बड़ी पारियों को
देखकर ऐसा लगता है कि वह शॉर्टपिच गेंदों पर प्रहार करके पिछली ग़लतियों
को हाशिये पर धकेलना चाहते हैं। उम्मीद है कि वह एशिया कप और वर्ल्ड कप
में टीम इंडिया के एक अचूक हथियार साबित होंगे।