सेंचुरियन की हार का हिसाब केपटाउन में और वह भी महज दो दिन में। यानी अब तक का सबसे छोटा टेस्ट मैच। सिर्फ 642 गेंदों का टेस्ट मैच। इससे पहले 1932 में ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के बीच खेले गए टेस्ट में 656 गेंदें फेंकी गई थीं। इस तरह 92 साल का यह रिकॉर्ड टूट गया।
पहली पारी के हीरो मोहम्मद सिराज रहे और दूसरी पारी के जसप्रीत बुमराह। दोनों ने इन पारियों में छह विकेट चटकाए। बुमराह को पहली पारी में दो और सिराज को दूसरी पारी में एक विकेट हासिल हुआ लेकिन यह विकेट एडेन मार्करम का था, जिन्होंने नाजुक स्थिति में सेंचुरी बनाकर अपनी टीम के लिए एक बड़ा काम किया। सच तो यह है कि अगर उनकी सेंचुरी न होती तो साउथ अफ्रीका यह मैच पारी से हार जाता। सिराज को बाहर की ओर स्विंग मिला और सीम से भी उन्होंने बल्लेबाज़ों को छकाया। बीच-बीच में उनकी शॉर्टपिच बाउंसर ने विपक्षी बल्लेबाज़ों पर दबाव बनाने का काम किया। वहीं बुमराह ने गेंद को आगे रखा। उनकी फुलर लेंग्थ की गेंदें असरदार रही, जिस पर उन्होंने डेविड बेडिंघम, मार्को येनसेन और केशव महाराज के विकेट चटकाए। वहीं वैरेनी को उन्होंने अपनी शॉर्ट गेंद पर आउट किया।
सिराज को मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार दिया गया जबकि बुमराह को डीन एलगर के साथ मैन ऑफ द सीरीज़ के पुरस्कार से नवाजा गया।
साउथ अफ्रीका में 31 साल के भारतीय क्रिकेट के इतिहास में यह टीम इंडिया की पांचवीं जीत है। भारत ने इससे पहले जोहानिसबर्ग में दो टेस्ट जीते थे। सेंचुरियन और डरबन में भी एक-एक मुक़ाबला जीता लेकिन केपटाउन ही एकमात्र ऐसा केंद्र था, जहां टीम इंडिया का रिकॉर्ड सबसे खराब था। यहां भारत ने छह में से चार टेस्ट गंवाए थे और दो टेस्ट ड्रॉ रहे थे। लेकिन इस टेस्ट की जीत से टीम इंडिया यहां मैच जीतने वाली पहली एशियाई टीम बन गई है।
पहली पारी में 98 रनों की बढ़त के बाद दूसरी पारी में एडेन मार्करम साउथ अफ्रीका के वन मैन आर्मी साबित हुए। उन्होंने कुल सातवीं सेंचुरी बनाई लेकिन मोहम्मद सिराज की गेंद पर आउट होना एक तरह से मैच का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। उसके बाद टीम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। यशस्वी ने ताबड़तोड़ कैमियो पारी खेलकर जीत का आधार तैयार किया और बाकी बल्लेबाज़ों ने टीम को 79 के लक्ष्य पार कराने में मदद की और टीम महज दो दिन में सात विकेट से हार गई।