इस बार बदले-बदले अश्विन और बदली-बदली फिज़ा

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मनोज जोशी

इन दिनों रविचंद्रन अश्विन के मिजाज़ बदले हुए हैं। बॉलिंग एक्शन से लेकर खेल के प्रति नज़रिये तक। यही वजह है कि वह इस आईपीएल में बेहद असरदार गेंदबाज़ साबित हो रहे हैं। उनकी गेंदबाज़ी अगर इसी तरह से प्रभावी रही तो यजुवेंद्र चहल और एडम ज़ैम्पा के साथ वह राजस्थान रॉयल्स को आईपीएल ट्रॉफी जिता दें तो हैरानगी नहीं होगी।
आईपीएल के पिछले आयोजनों में अश्विन ज़रूरत से ज़्यादा प्रयोग किया करते थे। एक ओवर में ही तीन से चार कैरम गेंदें करते हुए उन्हें देखा जा सकता था। मगर अब वह ऑफ स्पिन पर पूरी तरह से केंद्रित हैं और कैरम बॉल को ब्रह्मास्त्र की तरह इस्तेमाल करते हैं लेकिन जन करते हैं तो उन्हें उस पर विकेट मिलते हैं। इस आईपीएल में उन्होंने केवल चार कैरम बॉल कीं और उनमें उन्हें तीन पर विकेट हासिल हुए। सिकंदर रज़ा, रोवमैन पॉवेल और आजिंक्य रहाणे उनकी ऐसी ही गेंदों के शिकार बने।

इस बार अश्विन स्टम्प्स की लाइन में गेंदें कर रहे हैं। फ्लाइट के साथ-साथ गेंद की गति को बेहद धीमा रख रहे हैं। साथ ही गेंदबाज़ी में कोण देने के लिए क्रीज़ के कोने का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। स्टम्प की लाइन की गेंदों में जब भी वह ज़्यादा स्पिन का सहारा लेते हैं तो गेंदबाज़ के पास उसे रोकने के अलावा ज़्यादा विकल्प नहीं होते। अपनी गेंदों की रफ्तार को उन्होंने कम कर दिया है। उनकी औसत गति 87 केएमपीएच की है। सबसे धीमी गेंद 84 और तेज़ 92 की रफ्तार की हैं। ज़ाहिर है कि उन पर बड़ा स्ट्रोक खेलने के लिए बल्लेबाज़ों को ज़्यादा ताक़त लगानी पड़ती है। ऐसी स्थिति में बल्लेबाज़ या तो ऐसा जोखिम उठाता नहीं है और यदि उठाता है गेंद बल्ले का बाहरी किनारा लेती हुई फील्डर के हाथों में जाती है। यानी गति में बदलाव उनका बड़ा हथियार है। वहीं अक्षर पटेल और कुलदीप यादव उनकी तुलना में कहीं तेज़ गेंदें कर रहे हैं।

इस बार चार मैचों में 64 गेंदों में से 54 गेंदें उनकी स्टम्प्स की लाइन में थीं। ऐसी गेंदों पर जब वह ज़्यादा स्पिन की कोशिश करते हैं तो ऐसी गेंदों पर रन बनाना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा पॉवरप्ले में उन्होंने कुल चार ओवर किए हैं जहां उन्होंने क्रमश: 10, 10, 11 और 13 रन दिए हैं। इसके बावजूद उनकी ओवरऑल इकॉनमी 6.37 रही। बाकी फिंगर स्पिनरों की तुलना में वह ज़्यादा फ्लाइट भी दे रहे हैं जो उनकी दिलेरी को दिखाता है।

अब अश्विन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर केवल टेस्ट क्रिकेट में खिलाया जाता है। ऐसी स्थिति में वह वनडे क्रिकेट में ज़रूर चयनकर्ताओं को मजबूर ज़रूर करेंगे क्योंकि चतुराईपूर्ण गेंदबाज़ी करना और विपक्षी बल्लेबाज़ के अनुसार अपनी रणनीति बनाना उनके खेल की सबसे बड़ी खूबी है और उनकी यह खूबी उन्हें बाकी गेंदबाज़ों से अलग साबित करती है।

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार होने के अलावा टीवी कमेंटेटर हैं)

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