पैट कमिंस, जोश हेज़लवुड और मिचेल स्टार्क की तिकड़ी तीनों प्रारूपों में चैंपियन साबित हुई है। इस साल वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप और वर्ल्ड कप जीतने के अलावा, 2021 में टी-20 वर्ल्ड कप भी इस तिकड़ी ने जीता है। पिछले कुछ वर्षों में कई युवा गेंदबाजों को ऑस्ट्रेलियाई टीम में मौका मिला लेकिन जब बात बड़े टूर्नामेंटों पर आई तो सिलेक्टर्स की पहली पसंद यही तीन गेंदबाज रहे हैं।
ऑस्ट्रेलियाई पेस अटैक अब धीरे-धीरे उम्रदराज हो रहा है। अभी भी इस तिकड़ी में पैनापन है लेकिन बैकअप के तौर पर किसी भी विश्वस्तरीय टीम को क्वालिटी खिलाड़ियों की जरुरत होती है। ऐसी गुणवत्ता जो बड़े खिलाड़ियों की गैरमौजूदगी पर जिम्मा उठा सके। स्कॉट बोलैंड देर आए लेकिन दुरुस्त साबित हुए। वह डब्ल्यूटीसी फाइनल में हेज़लवुड की जगह खेले और ऑस्ट्रेलिया की जीत में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह अभी 34 वर्ष के हैं और टेस्ट क्रिकेट में फिटनेस को मद्देनजर वह ऑस्ट्रेलिया के भविष्य तो नहीं हो सकते हैं। 33 वर्षीय माइकल नेसर भी दूसरे विकल्प है लेकिन उनकी उम्र स्टार्क जितनी ही है और वह हेज़लवुड और कमिंस से बड़े हैं। 27 वर्षीय झाय रिचर्डसन भविष्य के लिए एक बड़ी उम्मीद हैं, लेकिन दिसंबर 2021 में एशेज में अपने पहले पांच विकेट लेने के बाद से उन्होंने इंजरी के कारण कोई टेस्ट नहीं खेला है।
ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान के खिलाफ पर्थ टेस्ट के लिए युवा तेज गेंदबाज लांस मॉरिस को टीम में शामिल किया है। यह गेंदबाज अपनी गति के लिए ऑस्ट्रेलियाई घरेलू सर्किट में ‘द वाइल्ड पेस’ के नाम से भी जाना जाता है। 25 वर्षीय मॉरिस लगातार 150 किमी से भी ज्यादा की स्पीड से गेंदबाजी कर सकते हैं और इसी क्वालिटी के लिए वह आने वाले समय में स्टार्क की जगह ले सकते हैं। मॉरिस ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 22 मैचों में 74 विकेट चटकाए हैं।
स्टार्क का पिछले कुछ वर्षों में टेस्ट में मिलाजुला प्रदर्शन रहा है। बढ़ती उम्र और प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव को देख ऑस्ट्रेलिया को अब लांस मॉरिस जैसे युवा खिलाड़ियों की जरुरत है जो सीनियर खिलाड़ियों के न होने पर जिम्मेदारी का बोझ उठा सके।