यादें – भारत Vs पाकिस्तान:
भारत और पाकिस्तान की चर्चा होते ही आम तौर पर दोनों मुल्कों की ओर से तलवारें खिंचने का चित्र उभरने लगता है और चर्चा जावेद मियांदाद-किरण मोरे, शाहिद आफरीदी-गौतम गम्भीर, कामरान अकमल-गम्भीर, आमिर सुहैल-वेंकटेश प्रसाद की घटनाओं तक ही सीमित हो जाती है। मगर तस्वीर का दूसरा रुख भी है, जिसमें ऐसा लगता है कि दोनों मुल्कों के खिलाड़ी और अवाम अच्छे खासे दोस्त हैं। ऐसा एक या दो बार नहीं अनेकों बार देखने को मिला है।
जब टीम इंडिया ने 1983 का वर्ल्ड कप जीता तो इमरान खान की अगुवाई वाली पाकिस्तान टीम भी सुबह तक चले जश्न से खुद को अलग नहीं कर पाई और पूरी रात पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने जमकर भांगड़ा किया था। इसी तरह 1992 के वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के चैम्पियन बनने पर भारतीय़ खिलाड़ियों ने भी पाकिस्तान के जश्न में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
1999 का चेन्नै टेस्ट याद कीजिए। इस टेस्ट में भारत सचिन की सेंचुरी के बावजूद जीतते-जीतते हार गया। मगर चेन्नै के क्रिकेट प्रेमियों ने सकलैन मुश्ताक, वसीम अकरम और वकार यूनिस की गेंदबाज़ी की दिल खोलकर तारीफ की और उस समय चिदम्बरम स्टेडियम में जश्न मनाती पाकिस्तानी टीम को चेन्नै की जनता ने स्टैंडिंग ओवेशन देकर अपनी खेल भावना का परिचय दिया था। इसी तरह 2006 के लाहौर वन-डे में सचिन, युवराज, धोनी की तिकड़ी ने पाकिस्तान से जीत छीन ली और लाहौर की गलियों पर अलग ही नज़ारा देखने को मिला। इस दौरान वहां के लोकल लोगों ने ड्रम बजाए और भारतीय खिलाड़ियों ने खूब डांस किया। यह वह मैच था जिसमें युवराज ने सचिन और धोनी के साथ सेंचुरी पार्टनरशिप करके शोएब मलिक की मेहनत को हाशिए पर धकेल दिया था।
आज बाबर आज़म के कवर ड्राइव इन एकडमियों में जहां चर्चा का विषय हैं तो वहीं विराट कोहली का टी-20 वर्ल्ड कप में अपनी टीम की हार के बावजूद रिज़वान और बाबर से गले मिलने की घटना ने पाकिस्तान में उन्हें अपना मुरीद बना दिया था। इसी तरह विराट ने कुछ साल पहले मोहम्मद आमिर को अपना बल्ला भेंट किया था।
वाकई क्रिकेट ने दोनों मुल्कों को करीब लाने में अहम भूमिका निभाई है। तभी तो इमरान और अकरम आज भारतवासियों को अपने से लगते हैं और सचिन, विराट और रोहित शर्मा को पाकिस्तान में पसंद करने वालों की भी कोई कमी नहीं है।