एथलेटिक्स मैदान पर भी इंडिया Vs पाकिस्तान यानी तकनीक Vs पॉवर

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जब से अरशद नदीम ने 90 मीटर का बैरियर तोड़ा है, तब से उन्हें नीरज
चोपड़ा के कड़े प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जाने लगा है। संडे को
सुपरसंडे बनाने के लिए दोनों ने कमर कस ली है। इसे भारत और पाकिस्तान की
एथलेटिक्स की फील्ड इवेंट में एक बड़ी लड़ाई कहें या तकनीक और ताक़त के
बीच की जंग, इसका पता रविवार को दोपहर में हो जाएगा।

नीरज के पास बेहतरीन स्प्रिंट, जम्प और लिफ्टिंग है और उनकी आर्म स्पीड
का कोई जवाब नहीं है। ये आर्म स्पीड उन्होंने सौ ग्राम कम भाले (700
ग्राम का भाला) से अभ्यास करके विकसित की है। इसी आर्म स्पीड से जैवलिन
के दूर तक जाने में मदद मिलती है। वहीं अरशद नदीम के पास केवल पॉवर है।
स्प्रिंट के मामले में वह नीरज के आस-पास भी नहीं हैं। इस खेल में केवल
पॉवर गेम के सहारे लम्बे समय तक नहीं टिका जा सकता। यह ठीक है कि वह 90
मीटर का बैरियर तोड़ चुके हैं जबकि नीरज यह काम अपने पूरे करियर में अभी
तक नहीं कर पाए हैं लेकिन इसके साथ ही यह भी सच है कि नदीम कंधे की इंजरी
से हाल ही में उबरे हैं। पाकिस्तान में ट्रायल और यहां वर्ल्ड
चैम्पियनशिप उनके लिए दोबारा शुरुआत करने जैसा कदम है।

वहीं एक सच यह भी है कि जब-जब दोनों एक साथ उतरे हैं, हमेशा तकनीक ताक़त
पर भारी साबित हुई है। मगर बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ गेम्स में नदीम ने
90.18 मीटर के पर्सनल बेस्ट के साथ गोल्ड अपने नाम किया था जबकि नीरज
इंजरी की वजह से इस प्रतियोगिता में नहीं उतरे थे। इतना ही नहीं, नीरज को
जब जब चुनौतीपूर्ण या यह कहिए कि फिसलन भरा रनवे मिला, वहां उन्होंने सभी
प्रतियोगियों को काफी पीछे छोड़ दिया। हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में
क्वालिफाइंग मुक़ाबलों के दौरान ऐसे ही हालात थे, जहां नीरज ने पहले ही
प्रयास में फाइनल के लिए क्वॉलीफाई करने का कमाल किया। ठीक उसी तरह जैसे
वह ज़्यादातर प्रतियोगिताओं में करते रहे हैं। जिस तरह बाकी खिलाड़ी
इवेंट शुरू होने से काफी पहले अपना वार्म अप पूरा कर लेते हैं, नीरज के
साथ ठीक उल्टा है। वह अंत तक वार्मअप करते रहते हैं जिससे बॉडी गर्म रहती
है और वह अपनी पहली ही थ्रो में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर देते हैं।
अगर इसके बाद की थ्रो की नौबत आ भी जाए तो भी नीरज पहले से कहीं कम फाउल
करते हैं और उनके जैवलिन का एंगल आम तौर पर 34 से 36 डिग्री रहता है।
वहीं नदीम के साथ ठीक उल्टा है। उनके ज्यादातर अच्छे प्रदर्शन चौथी या
पांचवीं थ्रो पर आए हैं और उनकी बॉडी धीरे-धीरे लय में आती है।

अब नीरज ओलिम्पिक, एशियाई खेल, डायमंड लीग और कॉमनवेल्थ गेम्स (2018) में
गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। पिछली वर्ल्ड चैम्पियनशिप में वह ग्रेनाडा के
पीटर एंडरसन से हारकर दूसरे स्थान पर रहे थे। अब दूसरे स्थान को पहले
स्थान में बदलने के लिए अरशद नदीम के अलावा चेक रिपब्लिक के जैकब
वादलेज्व भी होंगे। उनके क्वॉलिफाइंग के प्रदर्शन को लेकर खुशफहमी नहीं
पाल लेनी चाहिए। वह ओलिम्पिक में नीरज के बाद दूसरे और पिछले साल की
वर्ल्ड चैम्पियनशिप में नीरज के बाद तीसरे स्थान पर थे। अगर कंडीशंस ठीक
हुईं तो वह नदीम से भी ज़्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं। वहीं
क्वॉलिफाइंग में चौथे नम्बर पर रहने वाले जर्मनी के जूलियन बैबर अब पहले
वाली फॉर्म से कोसों दूर हैं। ज़ाहिर है कि नीरज के लिए इतिहास रचने का
यह सुनहरा मौका है।

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