यूरोप की बादशाहत को चुनौती देता सऊदी अरब

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~दीपक अग्रहरी

फुटबॉल का नया गढ़ बनने की दिशा में सऊदी अरब अपनी तैयारियां और पुख्ता कर रहा है।
गुरुवार को सऊदी अरब की फुटबॉल समर ट्रांसफर विंडो बंद हुई जिसमें तकरीबन
एक अरब अमेरिकी डॉलर से भी ज्यादा खर्च किए गए। ऑयल के लिए मशहूर इस
साम्राज्य ने खुद को ग्लोबल फुटबॉल में एक नई सुपर पॉवर के रूप में
विकसित किया है। सऊदी क्लब ज़रुर लिवरपूल के मोहम्मद सलाह को सऊदी प्रो
लीग में जोड़ न सका हो लेकिन  क्रिस्टियानो रोनाल्डो, नेमार और करीम
बेंजेमा जैसे स्टार खिलाड़ियों के साथ उनके करार से यह तो पक्का है कि
भविष्य में यूरोप के बड़े क्लबों से सितारों का सऊदी प्रो लीग में पलायन
होगा। लिवरपूल ने पिछले हफ्ते मोहम्मद सलाह के लिए अल-इत्तिहाद की साढ़े
15 अरब रुपये के ऑफर को ठुकरा दिया था। ऐसी अटकलों के बावजूद कि डेडलाइन
से पहले एक और नया प्रस्ताव आएगा। मिस्र के इस खिलाड़ी का कोई सौदा नहीं
हो पाया। एक रिपोर्ट के अनुसार सऊदी क्लबों ने खिलाड़ियों पर $1 अरब से
अधिक का खर्च किया, जिससे इस ट्रांसफर विंडो में खर्च के मामले में केवल
इंग्लिश प्रीमियर लीग ही सऊदी अरब से आगे है। हालांकि ऐसी कोई संभावना
नहीं है कि सऊदी अरब अपनी बेशुमार दौलत को केवल फुटबॉल तक की सीमित रखेगा
क्योंकि देश ने हाल के वर्षों में गोल्फ, मुक्केबाजी, फॉर्मूला वन रेसिंग
और टेनिस के साथ-साथ फुटबॉल में निवेश किया है।
 सऊदी अरब ने अपने फुटबॉल लीग की प्रोफ़ाइल को बढ़ाने के लिए फुटबॉल जगत
के बड़े-बड़े नामों को अपने साथ जोड़ा है। डेमराई ग्रे एवर्टन से
अल-एत्तिफ़ाक में शामिल हो गए और लुइज़ फेलिप रियाल बेटिस को छोड़कर
अल-इत्तिहाद से जुड़े। ऐसी भी अटकलें थीं कि मैनचेस्टर यूनाइटेड के विंगर
जेडन सांचो भी प्रो लीग के निशानें पर हैं लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
 क्रिस्टियानो रोनाल्डो का सौदा साल भर के ले करीब साढ़े 16 अरब डॉलर में
हुआ और दिसम्बर में अल-नसर में शामिल होने का रोनाल्डो का फैसला इस नजर
से अहम साबित हुआ कि इसके बाद दुनिया के कई प्रमुख खिलाड़ियों ने अरब देश
का रुख किया। चैंपियंस लीग विजेता एन-गोलो कांटे, सादियो माने, रियाद
महरेज़, रॉबर्टो फ़रमिनो, जॉर्डन हेंडरसन, फैबिन्हो, बेंजेमा और हाल ही
में  नेमार के करार ने इस  लीग की  पापुलैरिटी को एक नया आयाम दिया है।
पेरिस सेंट-जर्मेन से  अल हिलाल में शामिल हुए नेमार विंडो के सबसे महंगे
खिलाड़ी साबित हुए। अल हिलाल सऊदी अरब की सबसे सफल टीम है जिसने रिकॉर्ड
18 बार लीग चैंपियनशिप और चार बार एशियाई चैंपियंस लीग जीती है। सउदी
क्लबों ने लियोनेल मैसी और किलियन एम्बाप्पे को अपनी टीम से जोड़ने की कई
कोशिशें कीं लेकिन क़ामयाब नहीं हो पाए। अल हिलाल नेमार से पहले लियोनल
मैसी को अपने साथ जोड़ना चाहता था लेकिन अर्जेन्टीनी खिलाड़ी ने एमएलएस
क्लब इंटर मियामी जाने का फैसला किया। खिलाड़ियो के सऊदी अरब की ओर बढ़ते
कदमों ने यूरोप की ग्लोबल फुटबॉल में एकाधिकार को चुनौती दी है।

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