रश्मिका मामले के बाद खेल जगत भी लपेटे में, करना होगा आईटी एक्ट का कड़ाई से पालन

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जो कुछ दिन पहले फिल्म एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना के साथ हुआ, वैसा ही इस बार सारा तेंडुलकर के साथ हुआ। चित्र में सारा तेंडुलकर शुभमन गिल के गले में बाहें डाले दिख रही हैं। मगर हकीकत कुछ और थी। दरअसल, पिछले दिनों सारा ने अपने भाई अर्जुन तेंडुलकर के साथ अपने जन्मदिन के मौके पर एक फोटो खिंचवाई थी जिसमें वह अर्जुन के गले में बाएं डाले थी। किसी ने अर्जुन के चेहरे की जगह शुभमन गिल का चेहरा लगा कर उसे सोशल मीडिया में पोस्ट कर दिया। यह वास्तव में निहायत घटिया हरकत थी।

कुछ दिन पहले केरल के 73 वर्षीय व्यक्ति को उनके एक दोस्त का एक फेक वीडियोकॉल आता है, जिसमें वह उनसे 40 हज़ार रुपये की गुहार लगाता है जबकि हक़ीकत में वह आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के ज़रिए एक बड़ा क्राइम का मामला था। एक अन्य मामले में रश्मिका एक वीडियो में लिफ्ट में आती दिख रही हैं। वीडियो वायरल होने के बाद पता चलता है कि यह एक ब्रिटिश मूल की ज़ारा पटेल का वीडियो था जिस पर रश्मिका का चेहरा लगा दिया गया। इस घटना के बाद केंद्र सरकार ने इस बारे में गाइडलाइंस जारी की जिसमें ग़लत सूचनाएं और डीप फेक कंटेंट के प्रति सावधानी बरतने के लिए अपील की गई। साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से भी कहा गया है कि वह ऐसे कदम उठाए जिससे ऐसे मामलों की पहचान हो सके। दूसरे, 36 घंटे के अंदर ऐसी आपत्तिजनक पोस्ट न हटाने पर आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई करने की भी बात भी कही गई।

वैसे आईटी एक्ट, 2000 की धारा 66 डी के अनुसार ऐसी धोखाधड़ी के लिए तीन साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। वैसे हमारे समाज, सरकार, बिजनेस, आपसी रिश्ते इस डीप फेक कंटेंट से प्रभावित हो रहे हैं और लगातार धोखाध़ड़ी की घटनाएं बढ़ रही हैं। आलम यह है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को लेकर समाज में तमाम पाठ्यक्रम चल रहे हैं, जहां पॉज़ीटिव चीज़ें सीखते-सीखते छात्र कब फेक वीडियो के दलदल में फंस जाता है, इसका अहसास उसे भी नहीं हो पाता। आज अगर सारा तेंडुलकर शुभमन गिल के गले में बाहें डालने का फेक वीडियो सामने आया है तो इसके पीछे डिजिटल जगत में ज़्यादा से ज़्यादा व्यूज़ हासिल करना इसकी बड़ी वजह हो सकती है। हमारी संवेदनाएं कितनी मर चुकी हैं कि वर्ल्ड कप में भारत के मैचों के दौरान दर्शकों के सारा और गिल पर नारेबाज़ी की जाती है, जो शर्मनाक है। हम मेजबान हैं, लगता है यह सोचना सिर्फ बीसीसीआई का काम है, क्रिकेट फैंस को या तो अपनी ज़िम्मेदारी का अहसास नहीं है या फिर इस संवेदनशील मामले की अनदेखी कर रहा है। बाहर कितना खराब मैसेज जाता है इस तरह की नारेबाज़ी से, इसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होती।

भारत और पाकिस्तान के 30 फेक वीडियो खुफिया विभाग ने पिछले दिनों बरामद किए थे जो इन दोनों मुल्कों के संबंधों में और ज़्यादा ग़लतफहमी पैदा करने का काम करते हैं। खाली गाइडलाइंस जारी करके ही समस्या का हल नहीं हो जाता। सरकार को अब इस दिशा में युद्ध स्तर पर ऐसे मामलों में निगरानी रखने की ज़रूरत है। तभी आईटी एक्ट की धारा 66 डी के तहत कार्रवाई संभव है और तभी एसे कृत्य को करने वाले व्यक्ति में ऐसी घटनाओं के प्रति डर पैदा होगा।

 

 

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