पहले इंटरकॉनटिनेंटल कप और फिर सैफ चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम करने के बाद भारतीय फुटबॉल टीम ने सभी का दिल जीत लिया है लेकिन इतना शानदार प्रदर्शन करने वाली भारतीय टीम एक बार फिर 2023 एशियन गेम्स में भाग नहीं ले पाएगी। कई खेल प्रेमियों के मन में यह सवाल होगा कि लगातार दो-दो खिताब जीतने के बाद भी भारत एशियन गेम्स के लिए क्वॉलिफाई करने में क्यों असफल रहा।
एशियाई खेलों में फुटबॉल जगत की शीर्ष आठ एशियन टीमें भाग ले सकती हैं और भारतीय टीम अभी इसमें शामिल नहीं है। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने पहले योजना बनाई थी कि राष्ट्रीय सीनियर टीम के मुख्य कोच इगोर स्टिमैक थाईलैंड में किंग्स कप (7 सितंबर) के बाद चीन के हांगझू में 23 सितंबर से आठ अक्तूबर तक होने वाले एशियाई खेलों में अंडर-23 टीम को लेकर जाएंगे।
2002 से एशियाई खेलों में फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए वही नियम है जो ओलिम्पिक में है। टीमों के खिलाड़ियों की उम्र 23 साल होना ज़रूरी है जिसमें सिर्फ तीन खिलाड़ी इससे ज्यादा उम्र के हो सकते हैं। भारतीय ओलिम्पिक संघ (आईओए) और सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) को भेजे पत्र में खेल मंत्रालय ने कहा है कि टीम स्पर्धाओं के लिए केवल उन्हीं खेलों को शामिल किया जाएगा, जिन्होंने एशिया में भाग लेने वाले देशों के बीच आठवीं रैंकिंग हासिल की है। एशियाई खेलों में भाग लेने के लिए पिछले एक साल के प्रदर्शन पर विचार किया जाना चाहिए।
अगर रैंकिंग की बात करे तो एशिया में भारत टॉप-8 के आसपास भी नहीं है। यह वर्तमान में एशियाई फुटबॉल परिसंघ के तहत देशों में 18वें स्थान पर है। एआईएफएफ के महासचिव शाजी प्रभाकरन ने कहा कि यह सरकार का निर्णय है इसलिए, हमें इसका पालन करना होगा। हालांकि जहां तक फुटबॉल का सवाल है हम सरकार से फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करेंगे। इस साल भारतीय टीम का प्रदर्शन बेहद उत्साहजनक रहा है। अगर उन्हें एशियाई खेलों में खेलने का मौका मिलता है तो यह फुटबॉल के लिए बहुत बड़ा प्रोत्साहन होगा। खासकर अंडर-23 लड़कों के लिए। आईओए ने 2018 एशियाई खेलों के लिए भारतीय फुटबॉल टीम को इसी आधार पर मंजूरी देने से इनकार कर दिया था कि वह एशिया में शीर्ष-8 में स्थान पर नहीं थी।