बेहद गरीब परिवार के सूरज ने वह कर दिखाया जो 32 वर्षों में कोई पहलवान नहीं कर सका

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– मनोज जोशी

उसके पिता एक स्कूल में चौंकीदार थे। मां स्कूल में बच्चों को पानी
पिलाने का काम करती  थीं। कोविड महामारी के दौरान पिता की नौकरी जाती
रही। मगर पिता की दिली इच्छा अपने बेटे सूरज वशिष्ट को एक बड़ा आदमी
बनाने की कम नहीं हुई। सूरज ने भी वर्ल्ड कैडेट कुश्ती में गोल्ड मेडल
जीतकर उनके सपने को साकार करने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है। यह
गोल्ड भारत को ग्रीकोरोमन शैली की कुश्ती में 32 साल पहले पप्पू यादव की
क़ामयाबी के बाद हासिल हुआ है।
सूरज ने इस प्रतियोगिता में जापानी पहलवान को 5-1 से और उज्बेकिस्तान के
पहलवान को 7-4 से हराया। फिर सेमीफाइनल में अज़रबेजान के पहलवान को
तकनीकी दक्षता से और फिर फाइनल में रूस के पहलवान को 9-0 से हराकर अपनी
प्रतिभा का लोहा मनवा लिया।
वैसे तो सूरज का घर हरियाणा के रोहतक ज़िले के गांव रिठाल में है और वह
ओपन से दसवीं कक्षा के छात्र हैं और अपने घर से करीब 25 किलोमीटर दूर
गुरु मेहर सिंह अखाड़े में वह इन दिनों यहां के उस्ताद रणबीर सिंह ढका से
कुश्ती के गुर सीख रहे हैं।
सूरज कहते हैं कि वह पिछले छह वर्षों से इस अखाड़े में अभ्यास कर रहे हैं
और उन्हें पहली बार किर्गिस्तान में हुई एशियाई कैडेट कुश्तियों में भाग
लेने का मौका मिला था लेकिन उज्बेकिस्तान के पहलवान के हाथों हारने की
वजह से उनका पदक नहीं आ सका। ऐसे समय में अखाड़े के कोच रणबीर सिंह ढका
ने मनोवैज्ञानिक की ज़िम्मेदारी को बखूबी सम्भाला। उन्हें निराश न होने
और भविष्य की प्रतियोगिताओं के लिए पहले की तरह तैयारी जारी रखने की
नसीहत दी। सूरज कहते हैं कि रणबीर सर के अलावा कैम्प में कोच शमशेर,
इंद्रजीत और राजवीर सर ने भी उन्हें उनकी ग़लतियां बताईं और भविष्य में
उन ग़लतियों से सबक
लेने के लिए ज़ोर दिया। इन्हीं सब ग़लतियों को सूरज ने वर्ल्ड कैडेट
कुश्ती में दूर करके गोल्ड अपने नाम किया। सूरज कहते हैं कि उनकी इच्छा
अपने वजन में सर्वश्रेष्ठ बने रहना और आने वाले समय में सीनियर वर्ग में
भी वर्ल्ड चैम्पियन बनना है।
कोच रणबीर सिंह ढका ने कहा कि सूरज की सफलता के पीछे उसका अनुशासन है।
ग़रीब घर से है और कुछ कर गुज़रने की इसमें इच्छा है। अखाड़े के सीनियर
पहलवान संदीप, कुलदीप और जसवीर आदि खुराक के मामले में सूरज की मदद कर
देते हैं। कुछ खुराक का बंदोबस्त इसका परिवार भी कर देता है जो इस समय
बेहद आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि इस पहलवान की
अगर अच्छी खुराक का बंदोबस्त हो जाए तो इसमें भविष्य की बहुत सम्भावनाएं
छिपी हैं।

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