खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने ऐलान किया है कि भारत 2036 के ओलिम्पिक खेलों
की मेजबानी के लिए अपना दावा मजबूती से रखेगा। वैसे भारत 1951 और 1982 के
एशियाई खेलों और 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी सफलतापूर्वक कर चुका
है।
मेजबानी कभी देश को नहीं मिलती, संबंधित शहर को मिलती है। भारत की ओर से
अहमदाबाद ने मेजबानी के लिए दावा रखा है। इस रास्ते में सबसे बड़ी बाधा
वे देश हैं जो खुद भी दावेदार हैं। मसलन मैक्सिको के गुदालजारा ने अपना
दावा रखा है। वैसे मैक्सिको 1968 के ओलिम्पिक खेलों की मेजबानी कर चुका
है। दूसरा दावा इंडोनेशिया के शहर नुसानतारा की ओर से किया गया है।
हालांकि इंडोनेशिया के अन्य दो शहरों में 2018 के एशियाई खेलों का आयोजन
किया जा चुका है। तीसरा है तुर्की का इस्तांबुल शहर, जो मेजबानी से
ज़्यादा ओलिम्पिक में काफी संख्या में पदकों के लिए जाना जाता है, जहां
कुश्ती और वेटलिफ्टिंग में उसे ओलिम्पिक में काफी पदक हासिल हो चुके हैं।
इसके अलावा एशियाई देशों में सोल (साउथ कोरिया) है जो 1988 के सोल
ओलिम्पिक खेलों की मेजबानी कर चुका है। इन दिनों विश्व यूनिवर्सिटी गेम्स
की मेजबानी करने वाला चीन का चेंगडू शहर अन्य दावेदार है। इस देश में
2008 के ओलिम्पिक खेलों का आयोजन किया जा चुका है। कतर का दोहा शहर भी एक
दावेदार है, जहां 2006 के एशियाई खेलों का आयोजन हो चुका है।
अहमदाबाद को इन तमाम मुल्कों से कड़ी टक्कर लेनी होगी क्योंकि अहमदाबाद
की पहचान स्पोर्ट्स सिटी के रूप में अभी तक नहीं बनी है और न ही यहां
अंतरराष्ट्रीय स्तर के बड़े आयोजन हुए हैं। पिछले साल अहमदाबाद सहित
गुजरात के कुछ शहरों में नैशनल गेम्स का आयोजन किया गया था। इस शहर में
सरदार वल्लभ भाई पटेल स्पोर्ट्स एंक्लेव, नरेंद्र मोदी स्टेडियम,
अम्बेडकर स्टेडियम, रेलवे स्टेडियम और ओएनजीसी स्टेडियम हैं।
आम तौर पर ओलिम्पिक मेजबानी के लिए संबंधित शहर और देश के लिए यह भी देखा
जाता है कि क्या इस देश में स्पोर्टिंग कल्चर है जबकि सच्चाई यह है कि
पिछले से पिछले ओलिम्पिक में हमें दो कांसे के तमगे ही मिल पाए थे। 1976,
1984, 1988 और 1992 में तो भारत इन खेलों से खाली हाथ ही घर लौटा था। इसे
पुरानी बात कहकर हाशिए पर धकेला जा सकता है और तर्क यह दिया जा सकता है
कि भारत ने टोक्यो ओलिम्पिक और पैरालम्पिक में अब तक का सर्वश्रेष्ठ
प्रदर्शन किया। ओलिम्पिक में भारत को एक गोल्ड सहित कुल सात पदक हासिल
हुए जबकि पैरालम्पिक में भारत को नौ गोल्ड सहित 31 पदक हासिल हुए। यह
भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है लेकिन यह प्रदर्शन भी विश्व
स्तर के आला दर्जे के प्रदर्शन से बहुत पीछे है। टोक्यो ओलिम्पिक में
भारत पदक-तालिका में 48वें स्थान पर रहा था।
ओलिम्पिक मेजबानी का सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि इससे संबंधित शहर में न
सिर्फ खेलों की ढांचागत सुविधाएं विश्व स्तर की तैयार हो जाएंगी बल्कि
अन्य क्षेत्रों में भी ज़बर्दस्त सुधार देखने को मिलेगी। इसके अलावा काफी
संख्या में लोगों को काम मिलेगा। साथ ही एक सच यह भी है कि बढ़ती महंगाई
और बेरोजगारी की समस्या के बीच क्या इन खेलों को आयोजित करना सही कदम
होगा। ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया शहर का उदाहरण सबके सामने है, जिसने
बढ़ते खर्चों को ध्यान में रखते हुए 2026 के कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी
करने से मना कर दिया। क्या यह घटना भारत के लिए सबक होगी या सरकार इन
सबके लिए तैयार है। अगर सरकार के पास इन खेलों के लिए संसाधन जुटाने का
कोई रोडमैप है तो फिर इस कदम को स्वागतयोग्य ही कहा जाएगा।
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