सरबजोत सिंह
किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीतने के लिए ज़रूरी है एक परफैक्ट माइंडसेट। इसके बिना आप स्थितियों को अपने अनुकूल नहीं बना सकते। पॉज़ीटिव माइंडसेट से आप किसी भी मुश्किल बाधा को पार कर सकते हैं।
शूटिंग के खेल में जूनियर स्तर पर कड़ी प्रतियोगिता है। एक समस्या हरियाणा में अंतरराष्ट्रीय शूटिंग रेंज का न होना है। बेशक दिल्ली-हरियाणा बोर्डर पर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज है लेकिन मेरे लिए अम्बाला से वहां जाना बेहद मुश्किल काम है। इतना ही नहीं, हिसार, भिवानी, जींद जैसे दूरवर्ती इलाकों से कोई वहां शूटिंग करने के बारे में सोच भी नहीं सकता। मैं पिछले दिनों नैशनल चैम्पियनशिप में भाग लेने के लिए भोपाल गया था। वहां एक उच्च स्तर की शूटिंग रेंज है। दिल्ली में रहने वाले शूटर्स भी कर्णी सिंह रेंज का फायदा उठाते हैं। मेरी सरकार से उम्मीद है कि वह इस दिशा में ज़रूर सोचे जिससे इस खेल में हरियाणा के शूटर्स का भला हो सके।
कोई भी एथलीट अगर अच्छा प्रदर्शन करता है तो उसे उसकी ईनामी राशि भी तुरंत मिलनी चाहिए। हम लोग इस खेल पर काफी पैसा खर्च कर देते हैं। हमें अपने अच्छे प्रदर्शन के बाद ईनामी राशि का इंतज़ार रहता है। काफी बड़ी धनराशि का खर्च हमारा परिवार उठाता है। यह तो आप जानते ही हैं कि यह खेल काफी महंगा है। इस खेल पर हर महीने तकरीबन 50 हज़ार रुपये की राशि खर्च हो जाती है। मुझे खुशी है कि अपने कोच सर अभिषेकजी के साथ कड़ी मेहनत और परिवार के सहयोग से मैं हाल में एशियाई खेलों में दस मीटर एयर राइफल में टीम वर्ग में गोल्ड और मिक्स्ड टीम वर्ग में सिल्वर मेडल जीतने में सफल रहा। पिछले दिनों एशियाई चैम्पियनशिप में भाग लेने के लिए मैं कोरिया गया जिससे मैं अवॉर्ड फंक्शन में नहीं जा सका। जब मैं वापस आया तो मुझे बताया गया कि कमिटी बदल गई है। जिससे मुझे अभी तक वह राशि नहीं मिल सकी।
इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर कड़ी प्रतियोगिता होना इस खेल को और भी प्रतिस्पर्धी बनाता है। भोपाल में पिछले दिनों राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में पिस्टल और राइफल वर्ग में नौ हज़ार से ज़्यादा शूटर्स ने भाग लिया था। ज़ाहिर है कि नैशनल चैम्पियनशिप में गोल्ड जीतना वर्ल्ड कप में गोल्ड जीतने जैसा ही है।
(लेखक एशियाई खेलों के शूटिंग के चैम्पियन होने के अलावा जूनियर और सीनियर वर्ग के वर्ल्ड चैम्पियन हैं)