`बहुत अच्छा हुआ जो भारत वर्ल्ड कप हार गया। ये लोग ओवर कॉन्फिडेंट थे।` यह बयान सीमा पार से आया है। पाकिस्तान के पूर्व ऑलराउंडर अब्दुल रज्ज़ाक की खीज कुछ इस तरह से निकली है। कम से कम टीम इंडिया के प्रदर्शन को लेकर वह वसीम अकरम, मिस्बा-उल-हक़, मोइन खान और शोएब मलिक से ही कुछ सीख लेते। अगर अपने बराबर वालों से सीखने में उन्हें शर्म आ रही है तो वह मौजूदा टीम के खिलाड़ियों से ही सीख लेते क्योंकि बाबर आज़म, मोहम्मद रिज़वान, शादाब खान और शाहीन शाह आफरीदी के भारतीय खिलाड़ियों से काफी अच्छे संबंध हैं। इन खिलाड़ियों की खासकर विराट कोहली से अच्छी खासी दोस्ती है।
रज्ज़ाक की यह मुल्तान टेस्ट में भारत के खिलाफ एक भी विकेट न ले पाने की टीस है या फिर बैंगलुरु टेस्ट में खाली हाथ रहने की टीस। या फिर 2004 के भारतीय टीम के पाकिस्तान दौरे और उससे अगले साल पाकिस्तान टीम के भारत दौरे में तीन-तीन टेस्टों में भी उन्हें विकेट नहीं मिल पाए थे। यही रज्ज़ाक जब भी मुंह खोलते हैं, उसमें भारत के खिलाफ नफरत ही सामने आती है। यहां तक कि पाकिस्तानी अवाम भी उन्हें दोनों मुल्कों के बीच ग़लतफहमियां पैदा होने से बचने की सलाह देता है और काफी लोग उनके बयानों के लिए उन पर गुस्सा भी ज़ाहिर करते हैं।
रज्ज़ाक का कहना है कि भारत वर्ल्ड कप का चैम्पियन बनने लायक नहीं था क्योंकि उसने पिचों के साथ छेड़छाड़ करके उसका फायदा उठाने की कोशिश की। इस बारे में वह दोनों सेमीफाइनल और फाइनल की पिचों का हवाला देते हैं। भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच पहले सेमीफाइनल में सवा सात सौ के करीब रन बने जबकि ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के खिलाफ लो स्कोरिंग मैच रहा। फाइनल में भी ज़्यादा रन नहीं बने। सवाल है कि ऐसा पहले भी होता रहा है। विकेट किस दिन कैसी रहेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं दे सकता। अगर वह भारत के मैच में ओस के बाद बल्लेबाज़ी आसान होने की बात कहते हैं तो ऐसा कहकर वह विराट कोहली और केएल राहुल पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
पिछले दिनों विराट कोहली के लिए भी उनकी ज़ुबान फिसल गई। उन्होंने यहां तक कह दिया कि वह आज जो कुछ भी हैं, किस्मत की वजह से हैं। बिना बीसीसीआई की मदद के वह बड़े खिलाड़ी नहीं बन सकते थे। शायद रज्ज़ाक यहां यह भूल गए कि जिस खिलाड़ी ने इस वर्ल्ड कप में सबसे ज़्यादा रन बनाए हैं, क्या यह सब किस्मत की वजह से हो गया। क्या इसके पीछे छिपी उनकी कड़ी मेहनत उनकी क़ामयाबी का कारण नहीं है। अगर पीसीबी की ओर से खिलाड़ियों को बीसीसीआई की तरह सहयोग नहीं मिलता तो इसके लिए विराट कोहली कहां से बीच में आ गए। ज़ाहिर है कि उनकी एक बार फिर से ज़ुबान फिसल गई।
कभी रज्ज़ाक जसप्रीत बुमराह को बेबी बॉलर कहते हैं। इसी बेबी बॉलर ने पाकिस्तान के खिलाफ वर्ल्ड कप मैच में रनों का भी शिकंजा कसा और दो अहम विकेट भी चटकाए। यह वह गेंदबाज़ है जो इस वर्ल्ड कप का सबसे किफायती गेंदबाज़ साबित हुआ। कभी रज्ज़ाक कहते हैं कि पीएसएल इलेवन आईपीएल इलेवन को हरा देगी जबकि दोनों लीगों के स्तर में कितना बड़ा अंतर है, यह तथ्य किसी से छुपा नहीं है।