पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष नजम सेठी इन दिनो दबाव की रणनीति
खेलने लगे हैं। कल तक कह रहे थे कि टीम इंडिया अगर पाकिस्तान नहीं आई तो
उनकी टीम भी वर्ल्ड कप खेलने भारत नहीं आएगी। आज उन्होने आईसीसी के उस
बिजनेस मॉडल पर सवाल खड़े कर दिए हैं जिससे तकरीबन 1800 करोड़ रुपये का
सालाना राजस्व बीसीसीआई को आईसीसी से होगा। उसने संकेत दिए हैं कि वह जून
में इस बिजनेस मॉडल पर होने वाली आईसीसी की वोटिंग में इसके खिलाफ वोट
करेगा और साथ ही दो अन्य देश भी इस मामले में उसका साथ देंगे। इतना ही
नहीं, उसने श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड को भी धमकी दी है कि अगर उसने एशिया
कप के लिए उसके हाईब्रिड मॉडल को नहीं माना तो पाकिस्तान टीम भी जुलाई
में श्रीलंका के प्रस्तावित कार्यक्रम को रद्द कर सकती है।
दबाव की ऐसी भी क्या रणनीति कि आप बीसीसीआई और श्रीलंका को ही आंख दिखाने
लगे हैं। श्रीलंका का आर्थिक संकट किसी से छुपा नहीं है। वह श्रीलंका को
बड़ा झटका देने की धमकी देकर एशिया कप के लिए अपनी बात मनवाना चाहता है।
उसका पीसीबी की बात मानने का मतलब होगा बीसीसीआई के खिलाफ जाना। पूरे
मामले में बीसीसीआई अभी शांत है। अगर वह अपनी टीम को जुलाई के आस-पास तीन
मैचों की टी-20 सीरीज़ खेलने के लिए श्रीलंका भेज दे तो विराट कोहली और
रोहित शर्मा के नाम पर ही श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड को पाकिस्तान टीम के
श्रीलंका आने से कहीं ज़्यादा आमदनी हो जाएगी। यहां तक कि भारत की दूसरे
दर्जे की टीम के जाने से भी श्रीलंका को अच्छी खासी कमाई हो जाएगी।
पीसीबी की ओर से दबाव का ये सारा खेल ही एशिया कप की हाईब्रिड योजना को
मनवाने को लेकर है क्योंकि वह बतौर मेजबान एशिया कप की मेजबानी को गंवाना
नहीं चाहता। हाईब्रिड योजना का मतलब यह है कि भारत एशिया कप के अपने मैच
यूएई या श्रीलंका में से कहीं भी खेले और बाकी के मैच पाकिस्तान में
आयोजित हों लेकिन इसके लिए भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश तैयार नहीं है।
नजम सेठी यह तो मानते हैं कि बीसीसीआई को सबसे ज़्यादा आमदनी होनी चाहिए
लेकिन जयशाह की अगुवाई वाली आईसीसी की कमर्शल अफेयर्स कमिटी को यह भी
बताना होगा कि उसने तमाम क्रिकेट बोर्डों का शेयर किस आधार पर तय किया
है। नजम सेठी शायद यह भूल रहे हैं कि नए बिजनेस मॉडल में भारत से आईसीसी
को तकरीबन 80 फीसदी की कमाई होगी। साथ ही इस मॉडल से पाकिस्तान को भी
तकरीबन 283 करोड़ रुपये मिलने वाले हैं। इस राशि का इस्तेमाल वह अपने
यहां ढांचागत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए खर्च कर सकता है। इस पूरे
घटनाक्रम में वह भारतीय मीडिया का सहारा ले रहा है जिससे वह बीसीसीआई पर
दबाव बना सके। शायद इसीलिए उसने पाकिस्तानी मीडिया से दूरी बना ली है।