चार साल पहले भारतीय डेविस कप टीम को पाकिस्तान में खेलने की अनुमति नहीं मिली थी, जिससे वह मुक़ाबला कज़ाकिस्तान के शहर नूर सुल्तान में आयोजित किया गया था। आलम यह है कि पिछले साठ साल में टेनिस टीम को कभी पाकिस्तान जाने की अनुमति नहीं मिली लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। भारत को डेविस कप के लिए इस्लामाबाद जाने की अनुमति मिल गई। पिछले दिनों भारतीय ब्रिज टीम भी पाकिस्तान गई थी और पाकिस्तान की क्रिकेट टीम वर्ल्ड कप के लिए भारत आई थी और पाकिस्तान टीम भी हॉकी के लिए ओड़िशा आई थी। डेविस कप मुक़ाबले इस्लामाबाद में दो फरवरी से शुरू हो रहे हैं।
मगर इस बार अंतरराष्ट्रीय टेनिस महासंघ ने ऑल इंडिया टेनिस एसोसिएशन की उस अपील को खारिज कर दिया है जिसमें डेविस कप मैच को कहीं अन्य जगह पर आयोजित करने की अपील की गई थी। इस प्रस्ताव को डेविस कप कमिटी और आईटीएफ ट्राइबुनल पहले ही खारिज कर चुका था। ऐसी स्थिति में भारत के पास दो ही विकल्प थे कि या तो भारतीय दल पाकिस्तान जाए या फिर पाकिस्तान न जाकर अपने हिस्से के अंक भी पाकिस्तान को दे दे। ज़ाहिर है कि भारत के पास ज़्यादा विकल्प नहीं थे।
भारत का स्पोर्ट्स इवेंट के लिए पाकिस्तान जाने का मसला पूरी तरह से विदेश मंत्रालय पर निर्भर करता है। खेल मंत्रालय अपनी राय रखता है लेकिन इस बार उसने भारत के टेनिस में सम्भावित नुकसान का हवाला दिया। सूत्रों से यह भी पता चला है कि अब आने वाले समय में पाकिस्तान भारत के लिए खेल जगत में उतना अछूत न रहे, जितना कि अब तक रहता रहा है। तमाम खेलों में दोनों मुल्क एक दूसरे के यहां अपनी टीमें भेजते रहे हैं।
क्रिकेट को शुरू से ही अन्य खेलों की तुलना में ज़्यादा संवेदनशील माना जाता है। मगर एक सच यह भी है कि पाकिस्तान अगले साल चैम्पियंस ट्रॉफी का आयोजन कर रहा है। पिछले साल भारत ने पाकिस्तान की मेजबानी में यूएई में हाईब्रिड मॉडल के तहत एशिया कप में भाग लिया था। क्रिकेट में भारत अब एशियाई क्रिकेट काउंसिल की भी अगुवाई कर रहा है। एसीसी के जिस कार्यकारी बोर्ड ने सर्वसम्मति के साथ जय शाह को दोबारा अध्यक्ष चुना, उस बोर्ड में पाकिस्तान के ज़का अशरफ भी मौजूद थे, जिनकी तरफ से कोई विरोध नहीं किया गया। ज़ाहिर है कि स्थितियां बदल रही हैं। सम्भव है कि अगर कोई अन्य अपरिहार्य स्थितियां नहीं बनती तो भारत अगले साल पाकिस्तान में होने वाली चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए अपनी टीम भी भेजे।