पिछले दो ओलिम्पिक खेलों में भारत के सात-सात पहलवान क्वॉलीफाई कर रहे थे
लेकिन इस बार भारत को छह पहलवानों के साथ ही पेरिस जाना पड़ेगा और लगातार
दूसरी बार ग्रीकोरोमन शैली के किसी भी पहलवान का क्वॉलीफाई न करना भी कई
सवाल खड़े करता है।
अच्छी बात यह है कि विनेश फोगट अब देश में होने वाले ट्रायल के विजेता से
कुश्ती जीत जाती हैं तो यह उनका तीसरा ओलिम्पिक होगा। ऐसा करने वाली वह
पहली भारतीय महिला होंगी। एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड और
वर्ल्ड चैम्पियनशिप में पदक वह पहले ही जीत चुकी हैं और अब ओलिम्पिक पदक
यदि वह जीत जाती हैं तो वह ऑल टाइम ग्रेट रेसलर की श्रेणी में आ जाएंगी
क्योंकि अभी तक सुशील ही एकमात्र ऐसे पहलवान हैं जिन्होंने इन चारों
आयोजनों में पदक जीते हैं और ओलिम्पिक में पदक दो बार जीतने के अलावा वह
देश के इकलौते वर्ल्ड चैम्पियन भी हैं। मगर एशियाई खेलों का गोल्ड उनके
नाम भी नहीं है, जिसे विनेश 2018 में जीत चुकी हैं।
इतना ही नहीं, महिलाओं में साक्षी मलिक के पदक के बाद सबसे अच्छा
प्रदर्शन ओलिम्पिक में विनेश के ही नाम रहा है जो पिछले दोनों ओलिम्पिक
में एक-एक कुश्ती जीतने में क़ामयाब रहीं जबकि यह कमाल न तो गीता और
बबीता कर पाईं और न ही सीमा, अंशू मलिक और सोनम मलिक ही कर पाईं।
ओलिम्पिक में भारतीय महिलाओं की पहली बार भागीदारी 2012 के लंदन ओलिम्पिक
में हुई थी। तब गीता फोगट महिलाओं में एकमात्र प्रतियोगी के तौर पर उतरी
थीं। इस बार यही स्थिति पुरुषों की कुश्ती की है जहां अमन ने 57 किलो की
फ्रीस्टाइल कुश्ती में भारत को ओलिम्पिक कोटा दिलाया है। अमन क्वालिफाइंग
मुक़ाबलों में अकेले ऐसे पहलवान हैं जिन्होंने सबसे अधिक अंक अर्जित करके
ओलि्म्पिक के लिए क्वॉलीफाई किया है। उन्होंने बुल्गारिया, यूक्रेन और
उत्तर कोरिया के पहलवानों को पटखनी देकर कुल 34 अंक हासिल किए और केवल आठ
अंक गंवाए। इसी पहलवान ने छत्रसाल स्टेडियम के अपने सीनियर रवि दहिया की
परम्परा को आगे बढ़ाते हुए एशियन चैम्पियनशिप का गोल्ड जीता। अब पेरिस
में पदक जीतकर उनसे रवि की ओलिम्पिक उपलब्धि को दोहराने की उम्मीद की जा
रही है। इतना ही नहीं, वह देश के इकलौते वर्ल्ड अंडर 23 और एशियाई अंडर
23 के चैम्पियन पहलवान हैं। पहलवानों के आंदोलन के दौरान जब सीनियर वर्ग
में भारत अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबलों में भारत मुश्किल दौर में गुजर रहा था,
तब अमन ही थे, जिन्होंने ज़ागरेब ओपन में गोल्ड जीतकर भारत की उम्मीदें
जगा दी थीं।
65 किलो में इसे जयदीप की बदकिस्मती कहना ठीक होगा क्योंकि तुर्की के शहर
इस्तांबुल में तीन कुश्तियां जीतने के बावजूद वह भारत को ओलिम्पिक कोटा
नहीं दिला पाए।
महिलाओं में अंतिम पंघाल ने वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भारत को ओलिम्पिक
कोटा दिलाया था। विनेश, अंशू मलिक और रीतिका ने किर्गिस्तान के शहर
बिश्केक में भारत को क्रमश: 50, 57 और 76 किलो में ओलिम्पिक कोटा दिलाया
और अब इस्तांबुल में अमन ने पुरुष फ्रीस्टाइल वर्ग के 57 किलो में और
निषा ने 68 किलो वर्ग में ओलिम्पिक कोटा दिलाया। इस बार पेरिस में भारतीय
दल से कम से कम टोक्यो के प्रदर्शन को दोहराने की उम्मीद की जा सकती है।
महिला रेसलरों को मिला छप्पर फाड़के….अमन ने बचाई पुरुष कुश्ती की आबरू
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