मैच का परिणाम कुछ भी निकले लेकिन दूसरे दिन भारतीय गेंदबाज़ों ने प्रभावित ज़रूर किया

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बेशक वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल मैच का परिणाम कुछ भी निकले। मगर
यह मानना होगा कि जिन दो भारतीय गेंदबाज़ों ने पहले दिन अपनी गेंदबाज़ी
से निराश किया था, उन दोनों ने दूसरे दिन काफी प्रभावी गेंदबाज़ी की।
खासकर जो ग़लतियां पहले दिन की थीं, उसे ये दोनों दूर करने में क़ामयाब
रहे।

दूसरे दिन उमेश यादव की गेंदबाज़ी की गति भी बढ़ी और साथ ही उनके रन-अप
में भी लय दिखाई दी। उनकी लेट मूवमेंट कमाल की थी। साथ ही बाएं हाथ के
बल्लेबाज़ों के लिए उनकी गेंदें अंदर की तरफ आ रही थीं। इसीलिए वह तीसरे
या चौथे स्टम्प पर गेंदबाज़ी करते दिखाई दिए। वहीं शार्दुल ठाकुर ने जहां
पहले दिन निराश किया, वहीं दूसरे दिन उनकी लेंग्थ में भी काफी सुधार आया।
उन्हें लम्बे समय बाद सीम का अच्छा इस्तेमाल करते देखा गया। उनकी
गेंदबाज़ी की अच्छी बात यह थी कि वह दाएं और बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के
सामने उनकी गेंदें सीम से बाहर की ओर जा रही थीं। यही वजह है कि उन्होंने
स्टीव स्मिथ के रूप में एक बड़ा विकेट हासिल किया। उनकी एक कोण लेती और
बाहर की ओर जाती गेंद पर स्मिथ को बल्ला अड़ाना महंगा साबित हुआ। इस बार
गेंद बल्ले का अंदरूनी किनारा लेती हुई विकेटों में गई और वह बेहद
महत्वपूर्ण विकेट चटकाने में सफल रहे।

बाकी सीराज दूसरे दिन के पहले सत्र में वैसी गेंदबाज़ी करते नहीं दिखे जो
उन्होंने पहले दिन की थी लेकिन खासकर ट्रेविस हैड को शॉर्ट गेंदों के जाल
में फंसाकर वह उनका विकेट लेने में सफल हो गए। दूसरे सत्र में जिस तरह
उन्होंने पैट कमिंस को स्लोवर पर और नाथन लॉयन को शॉर्ट गेंद पर पविलियन
भेजा और वह इ पारी के सबसे अधिक चार विकेट चटकाने में सफल रहे।

गेंदबाज़ों को उनके अनुकूल फील्ड सजाने में भी रोहित शर्मा उतने कारगर
नहीं हो पाए जितनी की उनसे उम्मीद की जाती है। आदर्श स्थिति तो यह थी कि
वह गेंदबाज़ के साथ इस बारे में रणनीति तय करके फील्ड सेट करते। मगर यहां
उमेश यादव पर उन्होंने मिड ऑन लगाए रखा जबकि इस पिच पर स्ट्रेट ड्राइव
खेलने में करीब करीब हर बल्लेबाज़ कोताही बरतता रहा। इसी तरह किसी नए
बल्लेबाज़ पर दबाव बनाने की रणनीति में भी रोहित शर्मा विफल रहे। नए
बल्लेबाज़ के लिए डीप पॉइंट लगाना समझ से परे था। कई मौकों पर पहले दिन
खासकर कई भारतीय गेंदबाज़ फील्ड के अनुकूल गेंदबाज़ी करने में विफल रहे।
यह रोहित शर्मा के लिए एक बड़ा सबक है क्योंकि आईसीसी ट्रॉफी के फाइनल
में इस तरह की बुनियादी ग़लतियां टीम को अक्सर ले डूबती हैं। क्या इस बार
भी ऐसा होगा…कम से कम मौजूदा हालात में तो ऐसा ही लगता है।

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