28 जनवरी का दिन क्रिकेट के लिए खास है। यह मेहमानों का दिन है। यह इंग्लैंड और वेस्टइडींज़ के लिए यादगार दिन है। इस दिन इंग्लैंड ने भारत को भारत में हराया तो वहीं वेस्टइंडीज़ ने गाबा का गुरूर तोड़ा। कुछ उसी तरह से जैसे भारत ने कुछ साल पहले यह करिश्मा किया था। एक जगह अनजाना पेसर शामर जोसफ चमका तो दूसरे मैच में पहला टेस्ट खेल रहे लेफ्ट आर्म स्पिनर टॉम हार्टले ने नौ विकेट चटकाकर सबका दिल जीत लिया।
भारतीय स्पिन तिकड़ी ओली पोप के सामने असहाय साबित हुई। रिवर्स स्विंग से दूसरी पारी में चार में से तीन विकेट लेने वाले बुमराह को वह बहुत सावधानी के साथ खेले। क्या पोप और पुछल्ला बल्लेबाज़ों की लगातार पनपती पार्टनरशिप पर सिंगल्स की छूट देना टीम के लिए आत्मघाती साबित नहीं हुआ? बैज़बॉल अंदाज़ में खेलने की इंग्लैंड ने पहली पारी में कोशिश की और दूसरी पारी में भी। फर्क यह था कि दूसरी पारी में बैज़बॉल के साथ-साथ स्ट्राइक रोटेशन उसकी सबसे बड़ी क़ामयाबी रही, जिससे इंग्लैंड की टीम भारत को 231 रनों का लक्ष्य देने में क़ामयाब रही। रही सही कसर ओली पोप के दो कैच टपकाने के साथ पूरी हो गई। यह पारी यह सोचने के लिए भी मजबूर करती है कि क्या भारत में दूसरी पारी में किसी विदेशी की यह अब तक की सर्वश्रेष्ठ पारी थी ? जी हां, बिल्कुल, जिसने हारी बाज़ी को पलटने में अहम भूमिका निभाई। इस पारी में स्ट्राइक रोटेशन था। स्वीप और रिवर्स स्वीप की अदभुद कलाकारी थी। `वी` आकार में शॉट खेलने की खासियत थी। उनके सामने रोहित शर्मा सहित चारों मुख्य गेंदबाज़ों की रणनीति धरी की धरी रह गई।
भारत में जो भी अनजाना स्पिनर आता है, वही स्टार बन जाता है। हम कभी स्टीव ओ`कीफ को तो कभी जैक लीच को तो कभी मैट कुहनेमन को कुछ इसी अंदाज़ में स्टार बनते देख चुके हैं। इस बार बारी टॉम हार्टले की थी, जिन्होंने पहले ही टेस्ट में नौ विकेट चटकाकर भारतीय बल्लेबाज़ी की बधिया उधेड़ दीं। उनकी गेंदों पर कभी नज़दीकी फील्डर उनके शानदार लपककर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा रहे थे तो कभी रोहित शर्मा और केएस भरत जैसे खिलाड़ियों को गेंद को डिफेंड करते हुए लौटना पड़ा। गिल, भरत और श्रेयस तो फ्लाइटेड गेंद को भी ढंग से नहीं खेल पाए।
ग़लतियां इंग्लैंड ने कम नहीं की लेकिन तीसरे दिन उसके बल्लेबाज़ों ने लंच के बाद यू टर्न लिया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। एंडरसन नहीं खेले, वुड टीम पर बोझ साबित हुए। पहली पारी में भारतीय बल्लेबाज़ों ने खूब रन बटोरे लेकिन इन सब कमज़ोरियों से उबरते हुए दूसरी पारी में इंग्लैंड एक अलग ही मिजाज़ के साथ खेली। जिस बैजबॉल क्रिकेट की हवा निकलती दिख रही थी, वह बैज़बॉल उसके लिए एक बार फिर खुशियों का पैगाम लेकर आया। टर्न और असमतल उछाल पर विशाखापत्तनम में टीम को अपनी स्टैटजी पर बारीकी से विचार करने की ज़रूरत है। वैसे चेन्नै में पिछली बार भी हम पहला टेस्ट हारे थे लेकिन उसके बाद भारतीय टीम जब जीत की पटरी पर लौटी तो उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा, वही सब कुछ करने की अब ज़रूरत है।