– मनोज जोशी 3rd June :
कभी रवि शास्त्री विराट कोहली को खराब फॉर्म से उबरने के लिए लम्बे ब्रेक का सुझाव देते हैं तो वहीं आरसीबी के कोच संजय बांगड़ यह कहकर विराट का बचाव करते हैं कि यह टाइम-टाइम की बात है। यानी वह विराट की बल्लेबाज़ी में आई गिरावट की बात को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं लेकिन एक कड़वा सच यह है कि विराट कोहली की स्ट्राइक रेट तीनों फॉर्मेट में लगातार गिर रही है।
टेस्ट मैच में विराट का करियर औसत 55.69 है। 2020 में यह 49.08 आ गया। उससे अगले साल यह 44.07 और इस साल 39.04 पर आ गया। यानी साल दर साल इसमें गिरावट देखी गई। क्रिकेट फैंस पिछले 17 टेस्ट मैचों में सेंचुरी न लगने से ही परेशान थे लेकिन यह तथ्य और भी चौंकाता है कि टेस्ट की ही तरह वनडे
और टी20 में भी उनकी स्ट्राइक रेट बुरी तरह से प्रभावित हुई है। वन-डे में उनका करियर स्ट्राइक रेट 92.92 है जो 2020 में 92.39 पर, पिछले साल 86.57 पर और इस साल 75.53 पर आ गई। यानी वनडे में भी उनकी स्ट्राइक रेट का ग्राफ गिरा है। यह हालत तब है जबकि उन्होंने भ्रमणकारी इंग्लैंड टीम के खिलाफ लगातार तीन हाफ सेंचुरी बनाई थी और तीनों ही बार वह नॉटआउट रहे थे।
इसी तरह टी-20 में उनका 2020 में स्ट्राइक रेट 141.82 का था जो उससे अगले वर्ष 132.88 पर आ गया और इस साल यह 122.77 पर आ गया। आईपीएल में उनका करियर स्ट्राइक रेट 129.15 है लेकिन 2020 में यह 121.35 पर आ गया। पिछले साल इसमें और गिरावट आई और यह 119.46 पर आ गया। इस साल तो इंतेहा ही हो गई। उनका स्ट्राइक रेट 115.99 ही रह गया। यह हालत तब है जबकि विराट कोहली ने आईपीएल के दौरान ही ओपनिंग की कमान सम्भाली जहां फील्ड की बाध्यताओं के चलते 30 गज के दायरे से ऊपर उठाकर खेलने में मदद मिलती है लेकिन विराट का ध्यान खुद को जमाने पर था जिससे उनका स्ट्राइक रेट गिरता चला गया। आज 116 का स्ट्राइक रेट टी 20 क्रिकेट में शर्मनाक ही कहा जाएगा। खासकर तब जबकि ये आंकड़े विराट जैसे धाकड़ बल्लेबाज़ के हों और यह खिलाड़ी पारी की शुरुआत कर रहा हो।
वैसा ऐसा तभी होता है जब बल्लेबाज़ आउट ऑफ फॉर्म हो। गेंद को बल्ले के बीचो-बीच से न ले पा रहा हो। लेंग्थ को जल्दी न पढ़ पाना उसकी बड़ी परेशानी बन गई हो। बेशक पूर्व क्रिकेटर उनका कितना भी बचाव करें लेकिन यह सच है कि हाल में उनकी बल्लेबाज़ी में पहले जैसा फुटवर्क दिखाई नहीं दिया। वह बैकफुट पर मारने वाली गेंदों पर भी वैसा प्रहार नहीं कर पा रहे जैसे कि उनसे उम्मीद की जाती है। कभी पांचवें और छठे स्टम्प की गेंद पर आउट होना और कभी फॉरवर्ड डिफेंसिव शॉट खेलते हुए आउट होना विराट के लिए कॉमन सी बात है। आईपीएल में तो इस बार वह स्क्वेयर खेलते हुए भी कई बार आउट हुए। यहां तक गुजरात टाइटंस के खिलाफ तो वह स्टम्प भी हुए।
ऐसा दौर सचिन तेंडुलकर का भी आया था। 2005 और 2006 में सचिन का टेस्ट का स्ट्राइक रेट 77.29 और 77.26 था जो उनके करियर स्ट्राइक रेट 86.23 से काफी कम था। ऐसा 1994 के बाद पहली बार देखने को मिला था लेकिन अगले वर्षों में सचिन अपनी इस कमज़ोरी से निजात पाने में सफल रहे। अब हर कोई विराट के इस खराब दौर से बाहर आने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है।