युवा खिलाड़ियों ने किया राष्ट्रीय चयनकर्ताओं का काम मुश्किल

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– Rajkumar Sharma

इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के आखिरी मैच में जिस तरह एक मजबूत शुरुआत के बाद भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा, उससे खिलाड़ियों का मनोबल पूरी तरह गिर गया था लेकिन भारतीय टीम की तारीफ करनी होगी कि जिस तरह खिलाड़ियों ने टी 20 सीरीज़ के पहले मैच में वापसी की है, वह काबिलेतारीफ है। इसमें हार्दिक पांड्या की भी तारीफ करनी होगी।उन्होंने गेंद और बल्ले दोनों से शानदार प्रदर्शन करके भारत के लिए टी-20 वर्ल्ड कप से पहले उम्मीदें जगा दी हैं।

वैसे हार्दिक के अलावा टीम इंडिया के बाकी गेंदबाज़ों ने भी बढ़िया
गेंदबाज़ी की। भुवनेश्वर कुमार और अर्शदीप सिंह ने शुरुआती ओवरों में ही अपनी मौजूदगी से सबका दिल जीत लिया। भुवनेश्वर ने तो बटलर का विकेट एक शानदार इनस्विंग गेंदबाज़ी से चटकाया। इस लिहाज़ से देखा जाए तो भारतीय टीम के पास टी20 वर्ल्ड कप से पहले तैयारी का यह काफी अच्छा मौका है क्योंकि अगर इसी तरह के गेंदबाजी प्रदर्शन और जज़्बे के साथ भारत को व र्ल्ड कप में जाना है तो इस तरह की तैयारियां जारी रखनी होंगी। इसके अलावा बल्लेबाजी में दीपक हुड्डा और सूर्यकुमार यादव ने भारत को मध्यक्रम में काफी मजबूती दिलाई है। इसमें खास तौर पर सूर्यकुमार यादव ने अपनी बल्लेबाजी की खास तरह की शैली को दर्शाया है। मेरे ख्याल से टी 20 vर्ल्ड कप में यह बल्लेबाज अपनी जगह पक्की कर चुका है। उनके पास विविधतापूर्ण शॉट्स हैं और वह विकेट के चारों ओर शॉट्स खेलने की क्षमता रखते हैं। वहीं दीपक हुड्डा ने अब तक जिस तरह अपना दावा पेश करते हुए बेखौफ बल्लेबाजी की है, उससे भी उम्मीदें जगती हैं। उनकी सबसे अच्छी बात यह है कि वह शीर्ष क्रम में 150 से ऊपर के स्ट्राइक रेट को बरकरार रखे हुए हैं। उन्होंने आयरलैंड के खिलाफ दोनों मैचों में शानदार बल्लेबाज़ी की और दूसरे मैच में तो सेंचुरी लगाकर आगे के लिए उम्मीदें जगा दीं। उन्हें इस तरह से खेलते हुए देखना अच्छा लगता है क्योंकि टी 20 क्रिकेट में इसी तरह की बल्लेबाजी की जरूरत होती है लेकिन इन खिलाड़ियों के इस बेहतरीन प्रदर्शन के साथ सेलेक्टर्स के लिए मुसीबत भी खड़ी होने वाली है कि टीम में सीनियर खिलाड़ियों को मौका दिया जाए या इन युवा खिलाड़ियों को जो मैदान पर बेहतरीन प्रदर्शन करके दिखा रहे हैं। वैसे इसे टी 20 वर्ल्ड कप के लिए अच्छा संकेत ही कहा जा सकता है।

(लेखक विराट कोहली के कोच होने के अलावा द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता हैं)

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