न नीरज हैं और न शूटिंग है इस बार…. फिर कैसे होगी इनकी भरपाई ?

Date:

Share post:

Manoj Joshi

इस बार कॉमनवेल्थ गेम्स में न तो पिछले चैम्पियन नीरज चोपड़ा होंगे और न ही वह शूटिंग इवेंट जिसमें भारत पिछली बार सात गोल्ड सहित कुल 16 पदकों भरपाई कैसे कर पाएगा और क्या भारत पिछली बार के 26 गोल्ड सहित 66 पदको की संख्या तक पहुंच पाएगा।

भारत ने पिछले साल ओलिम्पिक और पैरालम्पिक में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और इस साल थॉमस कप का पहली बार खिताब जीता है, तब से भारत से इस आयोजन में भी पदकों के बढ़ने की उम्मीद की जाने लगी है। हालांकि कितना भी पॉज़ीटिव क्यों न सोच लिया जाए, इतना तय है कि भारत 2010 के अपनी मेजबानी में हुए आयोजन के प्रदर्शन तक नहीं पहुंच सकेगा जहां उसे 38 गोल्ड सहित कुल 101 पदक हासिल हुए थे।

वैसे भारतीय खिलाड़ियों की हालिया फॉर्म को देखते हुए यह साफ है कि भारत शूटिंग के पदकों की भरपाई इस बार बैडमिंटन, महिला कुश्ती और हॉकी से करेगा। बैडमिंटन में पिछली बार भारत को दो गोल्ड, तीन सिल्वर और एक ब्रॉन्ज़ मेडल हासिल हुए थे। तब भारत को पुरुषों की इवेंट में कोई गोल्ड हासिल नहीं हुआ था लेकिन इस बार लक्ष्य सेन, किदाम्बी श्रीकांत और सात्विक साईराज रैंकीरेड्डी, चिराग और सुमित से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है क्योंकि तब से अब तक भारतीय पुरुषों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिकॉर्डतोड़ क़ामयाबी हासिल की है। लक्ष्य ने इस साल वर्ल्ड चैम्पियन लो कीन येऊ को इंडिया ओपन में हराया तो वहीं जर्मन ओपन के सेमीफाइनल में दुनिया के नम्बर एक खिलाड़ी विक्टर एक्सेलसन को सेमीफाइनल में हराकर सनसनी फैला दी। इसके बाद वर्ल्ड नम्बर तीन एंडर्स एंटोनसेन को हराया और फिर वर्ल्ड नम्बर सात ली ज़ी को हराकर ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन के फाइनल में पहुंचने का कमाल किया। वर्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज़ और ऑल इंग्लैंड के फाइनल में पहुंचना उनकी बड़ी उपलब्धियां रहीं।

इसी तरह किदाम्बी श्रीकांत ने थॉमस कप की खिताबी जीत में अहम भूमिका निभाने के अलावा वर्ल्ड चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचने का कमाल किया। इसी तरह पीवी सिंधू ने इस साल सैयद मोदी टूर्नामेंट, स्विस ओपन और सिंगापुर ओपन के खिताब अपने नाम करके यहां उम्मीदें जगा दी हैं।

महिला कुश्ती में भारत को पिछले बार विनेश ही गोल्ड दिला पाई थीं लेकिन इस बार उनके अलावा अंशू मलिक से गोल्ड की बड़ी उम्मीद है जो पिछली वर्ल्ड चैम्पियनशिप और एशियाई चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं। पुरुषों की कुश्ती में पिछले पांच गोल्ड को बरकरार रखना बड़ी चुनौती होगी क्योंकि इस बार 74 किलो में नवीन, हैवीवेट में दीपक और सुपर हैवीवेट वर्ग में मोहित ग्रेवाल एकदम युवा पहलवान हैं। हमेशा की तरह पुरुषों में कनाडा और महिलाओं में नाइजीरिया भारतीय महिला पहलवानों के लिए बड़ी चुनौती रखेंगे।

बॉक्सिंग में पिछले पदक विजेताओं में अमित पंघाल और मोहम्मद हसामुद्दीन इस बार भी पदक की बड़ी उम्मीद होंगे। साथ ही निखत ज़रीन ने वर्ल्ड चैम्पियन बनने के बाद अब लाइट फ्लाईवेट वर्ग में उम्मीदें जगाई हैं। लाइटवेट वर्ग में जैस्मिन ने वर्ल्ड चैम्पियनशिप की मेडलिस्ट सिमरनजीत कौर को दो बार हराकर बड़ी उम्मीदें जगाई हैं। साउथ-पा मुक्केबाज़ होना उनके पक्ष में जाता है। लवलीना पिछली बार खाली हाथ लौटी थीं लेकिन ओलिम्पिक मेडल जीतने के बाद वह भी बढ़े हुए मनोबल के साथ अपनी चुनौती रखेंगी। पुरुषों में आठ में से चार मुक्केबाज़ों का साउथ-पा होने का भी भारत को लाभ मिल सकता है।

हॉकी में भारत पिछली बार खाली हाथ लौटा था। तब भारत पुरुषों में सेमीफाइनल में न्यूज़ीलैंड से ब्रॉन्ज़ मेडल मैच में इंग्लैंड से बुरी तरह हारा था जबकि महिला टीम ऑस्ट्रेलिया से सेमीफाइनल में हारी जबकि ब्रॉन्ज़ मेडल मैच में उसे इंग्लैंड के हाथों हार झेलनी पड़ी लेकिन तब से अब तक बड़ा बदलाव भारत के प्रदर्शन में हुआ है। 41 साल बाद ओलिम्पिक मेडल और फिर प्रो हॉकी लीग में कई बड़ी टीमों को हराना इसका उदाहरण है। महिला टीम पिछले दिनों वर्ल्ड कप में नौवां स्थान ही हासिल कर पाई जिससे उसकी राह चुनौतीपूर्ण हो गई है। रानी रामपाल की गैर-मौजूदगी में सविता पूनिया और वंदना कटारिया जैसी खिलाड़ियों से वही टोक्यो वाले जज्बे को हासिल करने की उम्मीद है। महिला क्रिकेट के इन खेलों में शामिल होने से भी पदक की उम्मीद बढ़ी है। ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड की टीमें भारत के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा साबित हो सकती हैं।

टेबल टेनिस में अचंत शरत कमल, मणिका बत्रा और साथियान के लिए पिछली बार के तीन गोल्ड, दो सिल्वर और तीन ब्रॉन्ज़ के प्रदर्शन को दोहराना ही बड़ी चुनौती होगी। एथलेटिक्स में जिन भारतीय एथलीटों ने हाल में वर्ल्ड चैम्पियनशिप में प्रदर्शन किया है, यदि वैसा ही प्रदर्शन वे यहां भी करने में सफल रहते हैं तो गोल्ड तो छोड़िए, मुश्किल से ब्रॉन्ज़ मेडल ही भारतीय एथलीटों को मिल पाएंगे। मेडल की स्थिति तभी सुधर पाएगी जब भारतीय एथलीट अपना पर्सनल बेस्ट करें और बाकी एथलीटों के प्रदर्शन में गिरावट आए।

वेटलिफ्टिंग में भी भारत पिछली बार कुश्ती की तरह टॉप पर रहा था। इस बार मीराबाई चानू सहित 14 भारतीय वेटलिफ्टरों से उस रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन में भी और सुधार देखने को मिल सकता है। पूनम यादव के लिए पिछला गोल्ड बचाना चुनौतीपूर्ण होगा। वह इस बार 76 किलो में अपनी चुनौती रखने जा रही हैं। गोल्ड मेडल के लिए मीराबाई के प्रदर्शन के आस-पास भी कोई नहीं है लेकिन 14 भारतीय वेटलिफ्टरों से काफी उम्मीदें की जा सकती हैं क्योंकि अगर ये अपने पर्सनल बेस्ट के आस-पास भी पहुंच गए तो इन्हें गोल्ड कोस्ट के प्रदर्शन से बेहतर करने से कोई नहीं रोक सकेगा। जूडो में इस बार पदक घटेंगे क्योंकि पिछली बार तीन सिल्वर और पांच ब्रॉन्ज़ हासिल हुए थे लेकिन इस बार कुल प्रतियोगी ही छह जा रहे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

Gujarat Titans Champion Sustainability at Narendra Modi Stadium During TATA IPL 2025

IPL 2025: The Gujarat Titans have once again demonstrated their strong commitment to sustainability by efficiently managing waste...

The Good Club Padel League 2025: Second Phase Sparks Passion and Sportsmanship

The Good Club Padel League 2025:  After a high-octane debut earlier this year, The Good Club Padel League...

आईपीएल 2025 में फिर मंडराया फिक्सिंग का साया, बीसीसीआई ने टीम मालिकों और खिलाड़ियों को दिया अलर्ट

मनोज कुमार आईपीएल 2025 में बीसीसीआई ने सभी टीम मालिकों और खिलाड़ियों को हैदराबाद के एक बिजनेसमैन से सतर्क...

दिल्ली कैपिटल्स की CSK पर जीत में केएल राहुल की शानदार बल्लेबाज़ी

केएल राहुल ने 51 गेद पर 77 रन की पारी खेली। उन्होंने छह चौके और तीन छक्के लगाए और...