क्रिकेट का खेल भी गिरगिट की तरह पल-पल में रंग बदलता है। तीसरे दिन सुबह अटकलें लगाई जा रही थीं कि इंग्लैंड के साथ पहला क्रिकेट टेस्ट तीसरे दिन ही खत्म हो जाएगा…उनके बैज़बॉल की हवा निकल गई…और भी न जाने क्या-क्या कहा गया। मगर शाम आते-आते सब कुछ पलट गया। ओली पोप वन मैन आर्मी साबित हुए। जो काम यशस्वी जायसवाल, केएल राहुल और रवींद्र जडेजा शानदार बल्लेबाज़ी के बावजूद नहीं कर पाए, वह काम उन्होंने बहुत सहजता के साथ कर दिया।
तलवारें दोनों ओर से तनी हुई थीं। एक तरफ बुमराह की रिवर्स स्विंग थी तो दूसरी तरफ ओली पोप के रिवर्स स्वीप खतरनाक बनते जा रहे थे। पोप ने बुमराह से किनारा किया और बाकियों को अपना निशाना बनाया और खासकर चाय के बाद अपने सधे हुए रिवर्स स्वीप सहित विविधतापूर्ण शॉट्स खेलकर भारतीय फील्डरों को पानी पिला दिया। इस दौरान चार रन प्रति ओवर से भी तेज़ गति से रन बन रहे थे और बैज़बॉल फिर सिर चढ़कर बोलने लगा था। जो काम जो रूट, जॉनी बेयरस्टो और बेन स्टोक्स नहीं कर पाए, वह काम ओली पोप ने कर दिया। उनकी यह पारी लॉर्ड्स में पिछले दिनों बनाई डबल सेंचुरी और पाकिस्तान के खिलाफ रावलपिंडी में लगाई उनकी सेंचुरी से कहीं बेहतर है।
जो टीम दोपहर तक मैच के हर विभाग में अपनी पकड़ मजबूत बनाए हुए थी, वही टीम शाम ढलते-ढलते ओली पोप के सामने असहाय नज़र आने लगी। आप स्वीप शॉट के लिए तो फील्ड सेट कर सकते हैं लेकिन रिवर्स स्वीप के लिए आप क्या करेंगे। वह भी तब जबकि पोप पैर निकालकर खेलते हैं और ऑफ साइड में खाली जगह पर बखूबी कलाइयों का इस्तेमाल करते हुए रिवर्स स्वीप लगा देते हैं। वैसे स्वीप और रिवर्स स्वीप क्राले और डकेट ने भी खूब लगाए लेकिन वह पोप की तरह `वी` आकार में नहीं खेल पाए। यही बाकी खिलाड़ियों और पोप में बड़ा फर्क रहा। खासकर मिडऑफ और मिडऑन पर उनके ऐसे शॉट्स का ही नतीजा था कि एक निर्जीव होते मैच में उन्होंने जान डाल दी।
इंग्लैंड के बाकी खिलाड़ियों के खिलाफ भारतीय स्पिनरों की स्ट्रैटजी कारगर रही। जडेजा जहां ज़्यादा टर्न कराती गेंद के बाद अगली गेंद आर्म बॉल करते हैं तो जॉनी बेयरस्टो जैसा बल्लेबाज़ गच्चा खा जाता है। यही हाल क्राले का अश्विन के सामने रहता है। वह भी टर्न के लिए गए लेकिन गेंद सीधी रह गई। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अक्षर पटेल को ज़्यादातर विकेट कुछ इसी तरह हासिल हुए हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए जडेजा और अश्विन को अक्षर का स्टाइल अपनाते देर नहीं लगी। बुमराह को इतना रिवर्स स्विंग मिला कि उन्हें देखकर इंग्लैंड के मार्क वुड भी सोच रहे होंगे कि काश उनके पास भी बुमराह जैसी विविधता और रिवर्स स्विंग की कला होती। निश्चय ही एंडरसन को उनकी जगह खिलाया गया होता तो इंग्लैंड ताक़तवर तरीके से टीम इंडिया का सामना मैच के पहले दिन से ही करता।
ओली पोप अगर पुछल्ला बल्लेबाज़ों की मदद से बढ़त को 200 के करीब पहुंचाने में सफल हो गए तो मैच रोमांचक हो सकता है। 2012-13 में आखिरी बार भारत अपनी ज़मीं पर इंग्लैंड से हारा था। तब अहमदाबाद में एलिएस्टर कुक ने दूसरी पारी में 176 रन की पारी खेली थी। उसके बाद अब किसी विदेशी खिलाड़ी ने दूसरी पारी में इतने रन (148) बनाए हैं। उनकी इस ताबड़तोड़ पारी से भारतीय गेंदबाज़ी और फील्डिंग बिखर गई। अब टीम इंडिया को वही करना है, जो इंग्लैंड ने दूसरे दिन सुबह के सत्र में भारतीय पुछल्ला बल्लेबाज़ों को निपटाकर किया था।