मिस्ट्री स्पिन की अगली कड़ी है महेश तीक्ष्णा

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– राजीव मिश्रा 3rd June :

आइपीएल सीजन 15 की खुमारी धीरे धीरे ख़त्म हो रही है पर चर्चा आज इस बात को लेकर तेज है कि आने वाले समय में मिस्ट्री स्पिन की कला को कौन आगे ले जाएगा .. इस सीजन में मिस्ट्री स्पिनर सुनील नारेण और वरुण चक्रवर्ती पूरी तरह फेल रहे वहीं श्रीलंका के युवा मिस्ट्री स्पिनर महेश तीक्ष्णा ने शानदार आईएल में आग़ाज़ किया … चेन्नई के लिए खेल रहे तीक्ष्णा के तरकश के तीर पूरे टूर्नामेंट में विरोधी बल्लेबाज़ों को परेशान करते रहे । महेश की मिस्ट्री की चर्चा तब शुरु हुई जब चेन्नई के खिलाफ मैच में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के सामने 217 रन का लक्ष्य था। दो सो के पार का कोई भी लक्ष्य कभी आसान नहीं होता लेकिन बैंगलोर की टीम अच्छी लय में चल रही थी इसीलिए बाजी किसी भी तरफ जा सकती थी।

चेन्नई के लिए पारी का तीसरा ओवर फेंकने आए महेश तीक्षणा। इस ओवर की पांचवी गेंद पर उन्होंने आरसीबी के कप्तान फाफ ड्यू प्लेसी को आउट किया। ये आईपीएल करियर में तीक्षणा का पहला विकेट था। इसके बाद पांचवें ओवर में वो फिर आए। इस बार उन्होंने ओवर की आखिरी गेंद पर अनुज रावत को एलबीडब्यू किया। चेन्नई के कप्तान रवींद्र जडेजा ने तीक्षणा के दो ओवर बचा लिए। रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर पर दबाव बन चुका था। प्रभुदेसाई और शाहबाज अहमद इस दवाब से टीम को उबारने की कोशिश में लगे थे। जडेजा ने एक बार फिर तीक्षणा को गेंद दी। तेरहवें ओवर की दूसरी गेंद थी।

तीक्षणा ने क्रीज पर अच्छा खासा वक्त बिता चुके और 34 रन बना चुके प्रभुदेसाई को पवेलियन भेजा। अपने अगले और पारी के 15वें ओवर में उन्होंने शाहबाज अहमद को भी आउट कर दिया। शाहबाज ने 41 रन बनाए थे। इन चार विकेट के बाद रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए मैच जीतना बहुत मुश्किल हो चुका था। महेश तीक्षणा ने अपने चार ओवर में 33 रन देकर चार विकेट लिए। बाद में चेन्नई ने इस सीजन की पहली जीत हासिल की। इस तरह के कई शानदार स्पेल फेंक कर महेश ने मिस्ट्री गेंदबाज़ों के जादू को बरकरार रखा ।

तीक्षणा ने आइपीएल 15 में 9 मैच खेले और 7.45 की औसत से 12 विकेट झटके महेश तीक्षणा की पहचान एक मिस्ट्री स्पिनर के तौर पर हुई है। महेश तीक्षणा मूलत: श्रीलंका के क्रिकेटर हैं। करीब 21 साल के महेश तीक्षणा ने श्रीलंका के लिए 4 वनडे और 15 टी20 मैच खेले हैं। उनके खाते में 20 अंतर्राष्ट्रीय विकेट हैं। इस सीजन में वो पचास लाख की बेस प्राइज पर आए थे। कोलकाता नाइट राइडर्स और चेन्नई सुपरकिंग्स में बहुत शुरूआती लेवल पर इस खिलाड़ी को लेने के लिए होड़ दिखी। लिहाजा पचास लाख की बजाए उनकी कीमत 70 लाख तक पहुंच गई।

रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के खिलाफ वो अपना आईपीएल करियर का दूसरा मैच खेल रहे थे। जिसमें उन्होंने कमाल किया। आईपीएल में ‘मिस्ट्री स्पिनर’ पहले भी आते रहे हैं। वरूण चक्रवर्ती इस तरह के गेंदबाजों में ताजा नाम हैं। अगर थोड़ा इतिहास में जाएंगे तो सुनील नारायण और अजंता मेंडिस का नाम भी ऐसे गेंदबाजों की फेहरिस्त में जोड़ा जा सकता है। मिस्ट्री स्पिन गेंदबाज़ी को समझने के लिए हमें उनके एक्शन को बहुत ध्यान से देखना होगा क्योंकि महेश तीक्षणा जैसे गेंदबाज़ अपनी कलाई और उँगलियों का इस्तेमाल एक साथ करते है यानि कलाई से जो गेंद से स्पिन होती नज़र आएगी वो दरअसल उँगलियों के घुमाव की वजह से अंदर आ जाती है जिसको पढ़ने में बल्लेबाज़ों को दिक़्क़त आती है

क्या है महेश तीक्षणा की काट?

महेश तीक्षणा की काट समझने के लिए आपको 2008 में जाना होगा। 2008 में भारतीय टीम श्रीलंका के दौरे पर थी। अनिल कुंबले टीम के कप्तान थे। कोलंबो में खेले गए पहले टेस्ट मैच में भारतीय टीम को पारी और 239 रन की बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। इसी मैच में अजंता मेंडिस ने अपने टेस्ट करियर की शुरूआत की थी। उन्होंने उस मैच में 8 विकेट लिए थे। राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज बल्लेबाजों को उन्होंने चकमा दिया था। लेकिन अगले ही मैच में भारत ने जबरदस्त वापसी की थी। इस वापसी के हीरो थे वीरेंद्र सहवाग। मेंडिस अगला टेस्ट मैच भी खेल रहे थे। गॉल में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में उन्होंने विकेट भी दस लिए थे। लेकिन दिक्कत थी वीरेंद्र सहवाग की बल्लेबाजी। वीरेंद्र सहवाग ने अजंता मेंडिस को जमकर धोया था। सहवाग ने सिर्फ 227 गेंद पर दोहरा शतक लगाया था। इसमें 22 चौके और 4 छक्के शामिल थे। बाद में एक इंटरव्यू में सहवाग से पूछा गया- एक ही मैच में अजंता मेंडिस का जादू कैसे खत्म किया, वीरू का जवाब था- मैंने उनकी गेंदबाजी में ‘मिस्ट्री’ समझने की बजाए उन्हें एक ऑफ स्पिनर की तरह खेलना शुरू कर दिया। महेश तीक्षणा के करिश्मे को भेदने का भी मंत्र यही है। उन्हें ऑफ स्पिनर समझ कर खेला जाए। वैसे महेश तीक्षणा अभी युवा हैं और वो सुमेल नारेण की तरह अपने तरकश में नए तीर जोड़ते रहे तो लंबे समय तक वो मिस्ट्री गेंदबाज़ी की परंपरा को आगे ले जा सकते हैं

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