कभी विराट-शास्त्री जुगलबंदी के खूब चर्चे थे। इस दौरान विराट ने अपने खेल पर भी खूब ध्यान दिया और अपनी आक्रामक कप्तानी के दौरान कई बड़े फैसले लिए। शास्त्री ने भी कभी विराट के किसी फैसले पर ऐतराज नहीं जताया। इन दोनों की जुगलबंदी के दौरान भारत ने घर और बाहर दोनों जगह 11-11 टेस्ट जीते। ऑस्ट्रेलिया में बोर्डर-गावसकर ट्रॉफी की ऐतिहासिक जीत और वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचना इनकी बड़ी उपलब्धि रही। यहां तक कि वनडे में 67.42 फीसदी क़ामयाबी इन दोनों की उपलब्धि को बताने के लिए काफी है।
यानी जब तक जीत रहे थे, तब तक सब सही था। शास्त्री की नज़र में विराट भारतीय क्रिकेट के नायाब हीरा थे। मगर अब टी-20 वर्ल्ड कप में उनकी भागीदारी को लेकर उन्होंने एक तरह से यू-टर्न ले लिया है। जब विराट आरसीबी की ओर से पंजाब किंग्स के खिलाफ 49 गेंदों पर 77 रन की पारी खेलकर मैच जिता रहे थे, तब कमेंट्री बॉक्स का माहौल भी खासा गर्म था। उस समय इंग्लैंड के पूर्व कप्तान केविन पीटरसन यह कहकर विराट का समर्थन करते दिखे कि जून में अमेरिका और वेस्टइंडीज़ में होने वाले टी-20 वर्ल्ड कप में खेल के ग्लोबल विकास को देखते हुए विराट कोहली जैसे खिलाड़ी टीम में होने चाहिए। मैच के बाद विराट ने भी कहा कि जब टी-20 वर्ल्ड कप प्रमोशन के लिए उनके नाम का इस्तेमाल किया जाता है तो वह भी इस फॉर्मेट के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
मगर रवि शास्त्री ने विराट और पीटरसन के इन तथ्यों को यह कहकर खारिज कर दिया कि खेल के विकास से ज़्यादा ज़रूरी है जीतना। शास्त्री ने कहा कि भारत को टी-20 वर्ल्ड कप जीतने के लिए युवा टीम के साथ जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप का उदाहरण दिया। शायद शास्त्री भूल गए कि विराट आज भी सबसे छोटे फॉर्मेट में सबसे बड़े चेज़ मास्टर हैं। उन्हें क्रीज़ पर टिकना भी आता है और ताबड़तोड़ अंदाज़ में खेलना भी खूब आता है। इससे भी बड़ी बात यह है कि उन्हें खेल की समझ बहुत अच्छी है। उन्होंने इस मैच में देखा कि रबाडा और हरप्रीत ब्रार शानदार गेंदबाज़ी कर रहे हैं तो उन्होंने इनके सामने स्ट्राइक रोटेट करने पर ध्यान दिया। इस काम में उनके विपक्षी शिखर धवन पिछड़ते हुए दिखाई दिए।
दूसरे विराट बड़े मैच के खिलाड़ी हैं। 2022 के मेलबर्न में पाकिस्तान के खिलाफ मैच को भला कौन भूल सकता है। जब रनों का पीछा करते हुए उन्होंने 18वें ओवर में पाकिस्तान के मुख्य स्ट्राइक बॉलर शाहीन शाह आफरीदी पर तीन चौके लगाए। उससे अगले ओवर में हारिस रउफ पर उन्होंने दो छक्के लगाए और आखिरी ओवर में मोहम्मद नवाज़ पर छक्का लगाकर टीम की जीत में सबसे बड़ा योगदान दिया। इससे पहले साउथ अफ्रीका के खिलाफ मैच में भी 175 के स्ट्राइक रेट से 49 रन की पारी से भी उन्होंने जीत में बड़ा योगदान दिया। अफगानिस्तान के खिलाफ उनकी 61 गेंदों पर 122 रनों की पारी को भी नहीं भुलाया जा सकता। 2021 के टी-20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ टीम इंडिया में सबसे बड़ी पारी के बावजूद वह मैच नहीं जिता पाए लेकिन उन्होंने अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
शास्त्री का यह कहना सही है कि टीम में युवा होने चाहिए। यशस्वी टीम की ताक़त हैं लेकिन एक सच यह भी है कि विराट को प्लेइंग इलेवन में गिल के साथ कड़ी स्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। गिल के स्ट्राइक रेट में सुधार हुआ है लेकिन उनके इस फॉर्मेट में ज़्यादा रन नहीं हैं। रिंकू सिंह जैसे पॉवरहिटर को ज़रूरत पड़ने पर ही प्लेइंग इलेवन मिल सकती है। अगर शास्त्री युवा और कुछ सीनियर खिलाड़ियों के तालमेल की बात कहते तो वह ज़्यादा व्यावहारिक होता। युवाओं की टीम का मतलब तो यह भी है कि रोहित शर्मा को ही टीम से बाहर कर दिया जाए, जो 36 साल के हो गए हैं लेकिन यह तर्क बिल्कुल भी व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप का उदाहरण दिया। उस टीम में भी सहवाग, गम्भीर, रोहित शर्मा, हरभजन, यूसुफ पठान और युवराज सिंह जैसे सीनियर खिलाड़ी मौजूद थे। क्या शास्त्री को बोर्ड की ओर से कोई संकेत मिला है, जिसके हिसाब से उन्होंने अपनी सोच में ही बदलाव कर लिए हैं।